Personal Loan Hidden Charges: पर्सनल लोन लेना जितना आसान लगता है, उतना ही मुश्किल इसका असली खर्च समझना हो सकता है। कई बार लोग सिर्फ ब्याज दर देखकर लोन का चुनाव कर लेते है। लेकिन सही बात यह है की वही ब्याज दर्ज पूरी कहानी नहीं बताता है। उदाहरण के रूप में अगर देखा जाए तो अगर आप 500,000 रुपये 11 फीसदी ब्याज पर 3 साल के लिए लेते है तो आपको तकरीबन 89,296 रुपये सिर्फ ब्याज के रूप में चुकाने पड़ेंगे। लेकिन ब्याज दर सिर्फ दो फीसदी बढ़कर 13 फीसदी हो जाए तो ऐसे में कुल ब्याज 1,06,491 रुपये हो जाता है।
यानी कि सिर्फ छोटी सी दर बढ़ने पर 17,195 रुपये का एडिशनल खर्च हो जाता है।
लोन की कीमत क्रेडिट प्रोफाइल पर निर्भर करती है
लोन की कीमत कहीं ना कहीं आपकी क्रेडिट प्रोफाइल के ऊपर भी निर्भर करती है। अच्छी सैलरी, स्टेबल नौकरी और मजबूत क्रेडिट स्कोर वाले ग्राहकों को कम ब्याज मिलता है। वही EMI कम करने के लिए अगर आप लंबे टेन्योर का चुनाव करते है, तो फिर ऐसे में मंथली किस्त तो कम हो जाएगी लेकिन कुल ब्याज काफी ज्यादा बढ़ जाएगा। यानी कि अभी तो राहत मिल जाएगी लेकिन लॉन्ग टर्म में ज्यादा नुकसान हो सकता है।
जेब को नुकसान पहुंचा सकते है हिडेन चार्जेस
हिडेन चार्जेस भी आपकी पॉकेट पर काफी ज्यादा भारी पड़ सकते है। प्रोसेसिंग फीस आमतौर पर लोन राशि के 1-3 फीसदी तक होती है। इसके अलावा प्री-पेमेंट पेनल्टी, पार्ट-पेमेंट चार्जेस और लेट फीस लोन को काफी ज्यादा महंगा बना सकते है। अक्सर लोग इन खर्चों पर ध्यान नहीं देते है और सिर्फ ब्याज दर देखकर जल्दबाजी में फैसला कर लेते है।
APR में ब्याज के साथ बहुत सारे चार्ज शामिल
लोन लेने से पहले सिर्फ ब्याज दर्ज नहीं, बल्कि एनुअल परसेंटेज रेट अच्छे से देखना चाहिए। इसमें ब्याज के साथ प्रोसेसिंग और दूसरे चार्ज भी शामिल होते है। EMI कैलकुलेटर की मदद से इस बात की भी जांच पड़ताल कर लेनी चाहिए की मासिक किस्त आपके बजट में आराम से फिट बैठेगी या फिर नहीं। साथ में यह भी देख लीजिए की प्री पेमेंट की सुविधा है की नहीं और उसके ऊपर कितना चार्ज लगता है।
आपको बताना चाहते है की जब कभी भी हम पर्सनल लोन लेने की सोचते है तो हमारा सारा ध्यान अक्सर ब्याज दर्ज पर जाता है, जैसे 12%, 14% या फिर कोई और ऑफर दर। लेकिन आपको याद रखना चाहिए की पर्सनल लोन का खर्च सिर्फ ब्याज दर तक सीमित नहीं रहता है। छोटे-छोटे चार्ज कुल रकम को इतना ज्यादा बढ़ा देते है की सस्ता दिखने वाला लोन महंगा साबित हो सकता है।
कौन-कौन से चार्ज छुपे रहते है?
1. प्रोसेसिंग फीस या ओरिजनशन फीस
2. पूर्व भुगतान और फोरक्लोजर चार्ज
3. EMI लेट पेमेंट चार्ज और बाउंस फीस
4. दस्ता्वेज और सेवा से जुड़े छोटे चार्ज
5. टैक्स और GST
कैसे असर डालते है यह चार्ज?
ब्याज दर भले ही कम हो लेकिन प्रोसेसिंग फीस लोन के असली खर्चे को बढ़ा देती है। छोटी रकम पर भी फीस प्रतिशत में ज्यादा दिखाई देती है। इसके अलावा EMI बाउंसर से डबल नुकसान होता है।











