Rohru Minor Suicide Case: शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल स्थित लिंबड़ा गांव में 12 वर्षीय एक बच्चे की आत्महत्या का मामला तब एक नया मोड़ लेता नजर आ रहा है, जब आरोपियों ने पॉलीग्राफ परीक्षण कराने से साफ मना कर दिया। इस कदम ने जांच प्रक्रिया को फिलहाल अवरुद्ध कर दिया है।
पुलिस ने आरोपी पुष्पा देवी और अन्य संदिग्ध लोगों का लाई डिटेक्टर टेस्ट करवाने के लिए विशेष अदालत से अनुमति मांगी थी। अदालत ने सभी संदिग्धों को पेश होने का आदेश दिया, लेकिन कोर्ट में हुई पेशी के दौरान आरोपियों की तरफ से इस जांच में शामिल होने पर सहमति नहीं दी गई। इस असहमति के बाद अदालत ने इस मामले में आगे की कार्रवाई रोक दी है। पुलिस अब अपने अगले कदमों को तय करने के लिए कानूनी सलाह ले रही है।
क्या है मामला ?
बता दें कि बीते 16 सितंबर को इस दुखद घटना के घटित होने के बाद, पुलिस ने 18 सितंबर को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, पीड़ित परिवार की ओर से छुआछूत और जातिगत उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगे, जिसके चलते मामले में एससी-एसटी एक्ट के प्रावधान भी जोड़े गए।
आरोप है कि घटनावाले दिन आरोपी महिला ने नाबालिग के साथ मारपीट की और उसे एक गोशाला में बंद कर दिया। बाद में बच्चे की हालत घर पर ही गंभीर रूप से बिगड़ती पाई गई। उसे पहले स्थानीय अस्पताल और फिर शिमला के आईजीएमसी ले जाया गया, जहां 17 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई। चिकित्सकीय जांच में जहरीला पदार्थ खाने की बात सामने आई।
मामले ने तब और तूल पकड़ा जब पीड़ित के परिजनों ने 20 सितंबर को औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। बच्चे की मां के बयान के आधार पर 28 सितंबर को एट्रोसिटी एक्ट के तहत आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने आरोपी की जमानत याचिका को ठुकरा दिया था और राज्य एससी आयोग ने भी इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट तलब की थी।
अब पॉलीग्राफ टेस्ट से इनकार के साथ, यह केस एक बार फिर से निर्णायक दौर में पहुंच गया है। पुलिस ने जोर देकर कहा है कि वह कानून के दायरे में रहते हुए आगे की तफ्तीश जारी रखेगी।












