Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

Supreme Court CJI: जस्टिस सूर्यकांत देश के नए मुख्य न्यायाधीश बने, राष्ट्रपति मुर्मू ने दिलाई शपथ

Supreme Court CJI: जस्टिस सूर्यकांत देश के नए मुख्य न्यायाधीश बने, राष्ट्रपति मुर्मू ने दिलाई शपथ

Supreme Court CJI: देश को नया मुख्य न्यायाधीश (CJI) मिल गया है। सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस सूर्यकांत को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलाई। यह ऐतिहासिक समारोह राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया, जहाँ सात देशों के मुख्य न्यायाधीशों सहित न्यायपालिका के वरिष्ठ सदस्यों ने भाग लिया।

जस्टिस सूर्यकांत ने हिंदी में शपथ लेकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। यह पहली बार है जब किसी मुख्य न्यायाधीश ने हिंदी में शपथ ली है। इससे उन्होंने राष्ट्रभाषा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाई और देशभर में सराहना प्राप्त की। बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी, 2027 तक इस पद पर बने रहेंगे। अपने लगभग 14 महीने के कार्यकाल के दौरान उनके सामने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई होनी है, जिन पर पूरे देश की नजर रहेगी।

इस ऐतिहासिक समारोह में ब्राजील, भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरीशस, नेपाल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीशों ने विशेष रूप से भाग लिया। भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में यह पहला मौका है जब इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय न्यायिक प्रतिनिधिमंडल ने किसी सीजेआई के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया।

शपथ ग्रहण के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने अपने माता-पिता के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया। यह दृश्य समारोह के सबसे भावुक पलों में से एक रहा। इस दौरान पूर्व सीजेआई जस्टिस बीआर गवई ने नए मुख्य न्यायाधीश का गले मिलकर स्वागत किया।शपथ ग्रहण के बाद नए सीजेआई सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुँचे, जहाँ उन्होंने परिसर में स्थित महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पहार अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

इसे भी पढ़ें:  जेल में फफक कर रोने लगा ठग सुकेश चंद्रशेखर

इस दौरान उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा मौजूद रहे। इस शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व सीजेआई बीआर गवई और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ समेत तमाम केंद्रीय मंत्री समेत कई अन्य गणमान्य अतिथि भी शामिल हुए।

कोर्ट नंबर 1 में सीजेआई सूर्यकांत ने शुरू किया काम
शपथ ग्रहण के बाद भारत के 53वें और नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 1 में अपना काम शुरू कर दिया है। कोर्टरूम में मौजूद वकीलों ने नए सीजेआई, जस्टिस सूर्यकांत का स्वागत किया और उन्हें बधाई दी, जब उन्होंने बेंच पर जस्टिस जॉयमाल्या बागची और अतुल एस. चंदुरकर के साथ सुप्रीम कोर्ट में आधिकारिक कार्यवाही शुरू की।

इसे भी पढ़ें:  विवादों के बीच बृजभूषण शरण बोले- मैं दल से बड़ा नहीं, समर्थक इन चीजों से रहें दूर

जानिए CJI सूर्यकांत के बारे में
हरियाणा के हिसार जिले के एक मध्यमवर्गीय परिवार में 10 फरवरी 1962 को जन्मे न्यायमूर्ति सूर्यकांत छोटे शहर के वकील से देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचे हैं। उन्हें 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से लॉ की मास्टर डिग्री में ‘फर्स्ट क्लास फर्स्ट’ मिला हुआ है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में कई उल्लेखनीय फैसले देने के बाद, उन्हें 5 अक्टूबर 2018 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

सर्वोच्च न्यायालय में उनके महत्वपूर्ण निर्णय
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय महत्व और संवैधानिक मामलों से संबंधित कई फैसले शामिल हैं:

-संवैधानिक मामले: वह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिकता अधिकारों पर दिए गए फैसलों का हिस्सा रहे हैं।
-न्यायिक जांच: वह उस पीठ का हिस्सा थे जिसने 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान हुई सुरक्षा चूक की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की थी।
-राजद्रोह कानून: वह उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून को स्थगित रखा था, और सरकार द्वारा समीक्षा पूरी होने तक इसके तहत कोई नई FIR दर्ज न करने का निर्देश दिया था।
-महिला सशक्तिकरण और न्याय: उन्होंने एक महिला सरपंच को अवैध रूप से पद से हटाए जाने के मामले को बहाल किया और मामले में लैंगिक पूर्वाग्रह को उजागर किया। उन्हें बार एसोसिएशंस, जिसमें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन भी शामिल है, में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने का निर्देश देने का श्रेय भी दिया जाता है।
-पेगासस मामला: वह पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई करने वाली पीठ का हिस्सा थे, जिसने जासूसी के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त की थी। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में राज्य को ‘फ्री पास’ नहीं मिल सकता।
अन्य मामले: उन्होंने वन रैंक-वन पेंशन (OROP) योजना को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया, और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का मार्ग खोलने वाले एक सात-न्यायाधीशों की पीठ का भी हिस्सा रहे।

इसे भी पढ़ें:  Skill Development Scam: पूर्व CM Chandrababu Naidu को 14 दिन के लिए भेजा जेल, टीडीपी ने किया बंद का आह्वान
प्रजासत्ता न्यूज़ एक प्रमुख हिंदी समाचार प्लेटफ़ॉर्म है, जो देश और दुनिया की ताजातरीन घटनाओं, राजनीति, समाज, खेल, मनोरंजन, और आर्थिक खबरों को सटीक और निष्पक्ष तरीके से प्रस्तुत करता है। हमारी टीम का उद्देश्य सत्य, पारदर्शिता और त्वरित समाचार वितरण के जरिए पाठकों तक महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है। हम अपने कंटेंट के माध्यम से समाज की जागरूकता बढ़ाने और एक सूचित नागरिक समाज बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमारी न्यूज़ टीम हमेशा विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी एकत्रित करती है और उसे सरल, सटीक और दिलचस्प तरीके से प्रस्तुत करती है।

Join WhatsApp

Join Now