Delhi-NCR Pollution: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण ने सुप्रीम कोर्ट की चिंता बढ़ा दी है। मामला तब और गंभीर हो गया जब स्वयं मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ भी प्रदूषण की चपेट में आकर बीमार पड़ गए। बताया जा रहा है कि CJI बीती शाम टहलने निकले थे, जिसके बाद उनकी तबीयत खराब हो गई।
‘किसके पास है जादू की छड़ी?’ – CJI ने जताई निराशा
गुरुवार को कोर्ट में एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह द्वारा स्थिति को ‘हेल्थ इमरजेंसी’ बताए जाने पर CJI ने गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “किसी भी न्यायिक मंच के पास ऐसी कौन सी जादू की छड़ी है जिसे घुमाकर यह समस्या तुरंत खत्म की जा सके? मुझे पता है कि यह दिल्ली-एनसीआर के लिए खतरनाक समय है। मुझे बताएं कि हम क्या आदेश दे सकते हैं कि तुरंत साफ हवा मिल सके।”
CJI सूर्यकांत ने कहा कि समस्या की कोई एक वजह नहीं है और सभी कारणों को पहचानने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सोचना गलत होगा कि सिर्फ विशेषज्ञ और वैज्ञानिक ही इस पर गौर कर सकते हैं। कोर्ट ने सरकार द्वारा गठित समिति और नियमित मॉनिटरिंग की प्रक्रिया पर गौर करने की बात कही। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अगली सुनवाई करने का निर्णय लिया है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह यह देखेगी कि इस गंभीर स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए क्या कारगर कदम उठाए जा सकते हैं।
AQI में हल्का सुधार, दिल्ली-NCR में ग्रैप-3 की पाबंदियां हटीं
दिल्ली-NCR में बुधवार को हवा की गुणवत्ता में हल्के सुधार के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रैप-3 की पाबंदियों को हटा लिया। इसके साथ ही दिल्ली में आधे कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम की सुविधा और वाहनों पर लगी पाबंदियां खत्म कर दी गई हैं। साथ ही स्कूलों में चल रहीं हाइब्रिड मोड क्लास भी अब बंद कर दी गई हैं। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने CAQMके निर्देशों के बाद 50 फीसदी वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था खत्म होने की बात कही है।
CAQM के अनुसार, पिछले कुछ दिनों के AQI डेटा की समीक्षा की गई। दिल्ली का AQI लगातार सुधार पर है। बुधवार को AQI 327 दर्ज किया गया है, जो बहुत खराब श्रेणी में आता है लेकिन गंभीर श्रेणी से नीचे है। दिल्ली में 11 नवंबर को ग्रैप-3 की पाबंदियां लागू कर दी गई थीं। इनमें मुख्य तौर पर बीएस-3 तक के चार पहिया वाहनों के दिल्ली-NCR में प्रवेश पर रोक लगा दी थी।
देश में वायु प्रदूषण का संकट अनुमान से कहीं ज्यादा बढ़ चुका है। 749 में से 447 जिलों (करीब 60%) की हवा में पीएम 2.5 का सालाना औसत राष्ट्रीय मानक से ज्यादा है। पीएम 2.5 का राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (एनएएक्यूएस) 40 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर है। 19 राज्यों में प्रदूषण का वार्षिक औसत भी राष्ट्रीय मानक से ज्यादा है। एक चिंताजनक पहलू यह भी है कि देश का कोई भी जिला या राज्य वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के 5 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर के मानक पर खरा नहीं है। 50 सर्वाधिक प्रदूषित जिले चार राज्यों- दिल्ली, असम, हरियाणा और बिहार में ही केंद्रित हैं।












