Hhimachal News: धर्मशाला, 27 नवंबर। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को विधानसभा में घोषणा की कि राज्य सरकार 1.24 लाख से अधिक अवैध कब्जाधारी परिवारों को बेघर होने से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में नामी वकील खड़े करेगी ताकि प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राहत हासिल की जा सके।
सीएम सुक्खू ने यह बात विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायक जीत राम कटवाल के एक प्रश्न के उत्तर में दखल देते हुए कही। इससे पहले, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मूल प्रश्न का जवाब देते हुए आरोप लगाया कि यह समस्या पूर्व भाजपा सरकार की नीतियों की देन है।
राजस्व मंत्री नेगी ने बताया कि पूर्व भाजपा सरकार ने 2002-03 में एक ऐसी नीति लागू की थी, जिसमें अवैध कब्जाधारियों के कब्जे को नियमित करने का प्रावधान था। इस नीति के कारण प्रदेश में रातोंरात 1.60 लाख से अधिक लोगों ने आवेदन कर दिए, जिससे सभी अवैध कब्जे सामने आ गए। उन्होंने कहा कि हिमाचल की अधिकांश गैर-राजस्व भूमि वन भूमि है और जब तक केंद्र सरकार वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) में संशोधन नहीं करती, तब तक राज्य सरकार एक बिस्वा जमीन भी आवंटित नहीं कर सकती।
नेगी ने आरोप लगाया, “पूर्व भाजपा सरकार इस मामले में सोई रही और इसी कारण आज एक लाख से अधिक लोगों के बेघर होने की नौबत आ गई है। पूर्व सरकार द्वारा बनाया गया कानून 163 ए को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। इसलिए इस समस्या के लिए पूर्व भाजपा सरकार जिम्मेदार है।”
उधर, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रतिपूरक सवाल में पलटवार किया। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार द्वारा यह नीति लाने का मकसद दशकों से सरकारी जमीन पर घर बनाकर रह रहे लोगों को उनकी जमीन का कानूनी कब्जा दिलाना था। उन्होंने मौजूदा सरकार पर आरोप लगाया कि उसने इस मामले को सही ढंग से अदालत के समक्ष नहीं रखा, जिस कारण 1.24 लाख से अधिक परिवारों के बेघर होने की नौबत आ गई है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या वह इन गरीब लोगों के घर बचाने के लिए प्रयास करेगी।
विधानसभा में अपने संसोधन संबोंधन में मुख्यमंत्री सुक्खू ने इसी सवाल का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि राज्य सरकार इन परिवारों के हित में सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार नामी वकीलों की टीम तैयार करेगी ताकि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में राहत हासिल कर सकें और इन परिवारों को बेघर होने से बचाया जा सके।










