IGMC Controversy: आईजीएमसी (IGMC) में हाल ही में हुए डॉक्टर-रोगी मारपीट विवाद को लेकर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इस मामले में वर्तमान पांगी से विधायक एवं आईजीएमसी के पूर्व मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. जनक राज ने सरकार पर तीखा हमला बोला है।
डॉ. जनक राज ने कहा कि सरकार डॉक्टर पर कार्रवाई कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है और जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रही है। उन्होंने चेताया कि ओवरलोडेड सिस्टम में इस तरह की कार्रवाइयों से डॉक्टरों का मनोबल और टूटेगा और इसका सीधा खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में हुआ झगड़ा कोई सामान्य घटना नहीं, बल्कि यह प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की घोर नाकामी का करारा सबूत है। यह तथाकथित “व्यवस्था परिवर्तन” के खोखले दावों, प्रशासनिक लापरवाही और सरकार की विफलता का जीता-जागता उदाहरण है।
डॉ. जनक राज ने सुक्खू सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए कई तीखे सवाल पूछे और कहा कि “क्या मरीज़ अपराधी हैं? क्या अस्पताल अब प्रताड़ना केंद्र बन गए हैं, जहां एक बेड पर दो-तीन मरीज रखे जा रहे हैं और जांच व ऑपरेशन के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है? क्या डॉक्टर और मरीज एक-दूसरे के दुश्मन बन चुके हैं?”
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने प्रदेश के अस्पतालों को अव्यवस्था का अड्डा बना दिया है। अस्पतालों में स्टाफ की भारी कमी है। मरीजों को जांच और टेस्ट के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। मरीजों और डॉक्टरों के बीच सुरक्षा व्यवस्था का अभाव है। शिकायत निवारण की भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं है।
डॉ. जनक राज के अनुसार यह सब सरकार की नीतिगत विफलता का सीधा परिणाम है, जिसमें डॉक्टर और मरीज दोनों ही पीड़ित हैं और प्रताड़ित हो रहे हैं। इसकी एकमात्र जिम्मेदार सुक्खू सरकार की लापरवाही है।
डॉ. जनक राज ने 180 करोड़ के रोबोट पर भी उठाए सवाल।
एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से डॉ. जनक राज ने बताया कि इस मुद्दे को सदन में भी उठाया गया था। उन्होंने सवाल किया कि जब अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं और स्टाफ की भारी कमी है, तब सरकार ने 180 करोड़ रुपये खर्च कर छह रोबोट खरीदने को प्राथमिकता क्यों दी?
उन्होंने पूछा कि क्या यह फैसला लोगों की वास्तविक मांग और जरूरतों को ध्यान में रखकर लिया गया था? , डॉ. जनक राज ने कहा कि लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार का काम जनता के हित में फैसले लेना होता है और संविधान में भी यही भावना निहित है।
उल्लेखनीय है कि यह प्रतिक्रिया आईजीएमसी शिमला में डॉक्टर और रोगी के बीच हुई मारपीट के विवाद के बाद आई है। बता दें कि डॉ. जनक राज आईजीएमसी शिमला में एमएस रह चुके हैं।












