Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगेगा साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण, क्या मान्य होगा सूतक काल ? जानिए इसका असर

Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगेगा साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण, क्या मान्य होगा सूतक काल ? जानिए इसका असर

Sarva Pitru Amavasya 2025 Date and Time:  हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है, और इसका समापन सर्वपितृ अमावस्या के दिन होता है। इस साल 21 सितंबर को पड़ने वाली सर्वपितृ अमावस्या का दिन है और इसी दिन साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण भी होगा। हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, क्योंकि यह रात के समय होगा। इस कारण इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा, और श्राद्ध कर्म बिना किसी बाधा के किए जा सकेंगे।

कब और कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण?
पंचांग के अनुसार, यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार 21 सितंबर की रात 10:59 बजे शुरू होगा और देर रात 3:23 बजे खत्म होगा। यह ग्रहण कुल 4 घंटे 24 मिनट तक रहेगा, जिसमें सूर्य का लगभग 85% हिस्सा ढक जाएगा।

यह खगोलीय घटना ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, अफ्रीका, हिंद महासागर, दक्षिण प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, दक्षिणी महासागर, पोलिनेशिया, मेलानेशिया और माइक्रोनेशिया जैसे क्षेत्रों में दिखाई देगी। इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया के सिडनी और होबार्ट, न्यूजीलैंड के ऑकलैंड, क्राइस्टचर्च, वेलिंग्टन और नॉरफॉक द्वीप के किंग्स्टन जैसे शहरों में भी यह नजारा देखा जा सकेगा। भारत में रात के समय होने के कारण यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, जिससे इसका धार्मिक प्रभाव भी नहीं होगा।

इसे भी पढ़ें:  Vastu Tips: जानिए! मकान की नींव में क्यों डाले जाते हैं कलश और चांदी से बना सांप?

सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध का महत्व
सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है, जब पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में तीन तिथियां विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती हैं, जिनमें सर्वपितृ अमावस्या प्रमुख है।

इस साल यह तिथि 21 सितंबर को है। चूंकि ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल लागू नहीं होगा। इस वजह से श्राद्ध और तर्पण जैसे धार्मिक कार्य पूरे दिन बिना किसी रुकावट के किए जा सकेंगे। पंचांग के अनुसार, श्राद्ध और तर्पण के लिए सुबह 11:50 से दोपहर 1:27 तक का समय सबसे शुभ रहेगा। इस दौरान पूर्वजों की पूजा और ब्राह्मण भोजन कराया जा सकता है।

इसे भी पढ़ें:  Pitru Paksha 2023: इस दिन से शुरू होंगे पितृपक्ष, जानें नियम और विधि

कैसे करें पितरों की पूजा?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ देव दोपहर के समय के स्वामी माने जाते हैं। इसलिए, इस दिन दोपहर में गाय के गोबर से बने उपलों पर गुड़ और घी चढ़ाकर पितरों का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद हथेली में जल लेकर अंगूठे की दिशा से तर्पण करें। साथ ही, शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पूजा करें। इस दिन नदी में दीपदान करने की भी परंपरा है, जिससे पितरों को अपने लोक में लौटने में सहायता मिलती है।

सर्वपितृ अमावस्या का यह दिन पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने का विशेष अवसर है। ग्रहण का प्रभाव न होने के कारण सभी पूरे मनोयोग से अपने पितरों की पूजा कर सकेंगे।

YouTube video player
प्रजासत्ता न्यूज़ डेस्क उन समर्पित पत्रकारों की टीम है जो देश-दुनिया की ताज़ा खबरें सच्चाई, निष्पक्षता और पाठकों के भरोसे को प्राथमिकता देते हुए पेश करती है। हम सच्चाई और निष्पक्षता के साथ हर कहानी को दिल से बयां करते हैं।

Join WhatsApp

Join Now