Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

किसी का भाई किसी जान_है जानू (RS Bali)

RS Bali आरएस बाली, Kangra News

-जानू की जादू की जफ्फी
-पौधे से राष्ट्रीय ओहदे तक का सफर
-बॉटम से टॉप , सबकी जानू हॉप
जिला कांगड़ा और नगरोटा बगवां की सियासत में में अचानक उस वक़्त नया मोड़ आया था जब जीएस बाली को अचानक सबने खो दिया। उस से पहले कयास लगाए जाते रहे कि कांगड़ा को अब शायद मुख्यमंत्री मिलेगा पर एक अधूरी तम्मना लिए समय से पहले जीएस बाली दुनिया को अलविदा कह गये। इस दुःखद घड़ी में कांगड़ा जिला ही नहीं बल्कि पूरा प्रदेश बाली परिवार के दुख में शामिल हुआ। किसी ने सही कहा है कि आपके जनाजे के पीछे चलने वाली भीड़ तय करती है कि आप कितने बड़े दिलों के राजा रहे हैं। बाली साहब के जाने का सदमा उनके परिवार को जितना था उतना ही नगरोटा विधानसभा के लोगों को भी था।

इसे भी पढ़ें:  कौन हूँ मैं? मैं अव्यवस्थित दिनचर्या की झुंझलाहट हूँ

रोज नगरोटा विधानसभा के लोग अपना गम बांटने के लिए उनके पुत्र आर एस बाली (जानू) से मिलने आने लगे। लेकिन जानू ने राजनीतिक गतिविधियों से तब तक दूरी बनाई रखी जब तक सनातन धर्म के अनुसार सारे कर्म नहीं हो जाते। महीनों तक उनका परिवार सारे राजनैतिक कार्यक्रमो से दूर रहा। धीरे-धीरे नगरोटा बगवां में कुछ कांग्रेसी जो चुनाव लड़ने की हसरत दिल मे पाले हुए थे, उन्होंने अपनी गतिविधियां शुरू कर दीं, सबसे पहले उन्होंने विरोध इस तर्ज़ पर शुरू किया कि अब नगरोटा विधानसभा से चुनाव धरती पुत्र मतलब नगरोटा का ही कोई कार्यकर्ता लड़ेगा। इस बात का प्रचार जोरों से शुरू हो गया , दूसरी तरफ जानू पिता की राजनैतिक विरासत संभालने के लिए निकल पड़े थे। यहाँ से शुरू हुआ जानू की जफ्फी का सिलसिला, जानू जहां भी गये वहां लोग अपने दुखों, पीड़ाओं के चलते जानू के गले लगकर फूट फूटकर रोते थे।

इसे भी पढ़ें:  अंतिम लेख : जब प्रथमिकता नहीं होती तो नज़रअंदाज़ होना लाजमी

कईयों को तो जानू में स्वर्गिय जीएस बाली की झलक दिखाई देती थी। अब जानू सभी महिलाओं और बच्चों का भाई बन चुका था और कार्यकर्ताओं की जान। उसका परिणाम यह रहा कि जानू ने 18000 मतों से विधानसभा में जीत हासिल की । पहली बार जीते किसी विधायक को कैबिनेट रैंक मिला और महत्वपूर्ण विभाग भी अब देखते हैं जानू अपने पिता के ड्रीम प्रोजेक्ट जो ट्यूरिजम से जुड़े थे उनको कैसे धरातल पर लेकर आते हैं। केंद्र हाई कमान में अच्छी पकड़ रखते हैं छोटे बाली। काफी नपी तुली बात करते हैं इसलिए कभी कोई विवादित टिपण्णी या बयान विपक्ष को भुनाने को नहीं मिला।

इसे भी पढ़ें:  जानिए! भारत के छोटे शहरों से डॉक्टर बनने का सपना लेकर छात्रों ने क्यों चुना यूक्रेन ?

शांत और सरल स्वभाव के हैं जानू चर्चा में रहने के लिए कभी बेतुकी बातों पर टिपनियाँ भी नहीं देते हैं । सचिवालय में भी जानू से मिलने वालों का देर रात तक तांता लगा रहता है जानू चाहे कितना भी व्यस्त हों इस बात का ध्यान रखते हैं की कोई निराश न लौटे इसलिए रात 12 भी लोगों से मिलते हैं। भले ही जानू कइयों को साहब लगते हों पर जो उनसे एक बार मिल लेता है उनके मधुर व्यवहार का कायल हो जाता है। जानू एक अच्छे राजनेता ही नहीं एक अच्छे पति, पिता भाई और साथ ही एक अच्छे इंसान भी हैं।
अब जानू टॉप से बॉटम तक सबकी हॉप हैं।
✍️ तृप्ता भाटिया

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment