प्रजासत्ता।
सिरमौर जिला के सबसे बड़े अस्पताल डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कालेज नाहन में मरीजों को टेस्ट करवाना आफत हो रहा है। आपातकाल में भी मरीजों को सामान्य टेस्ट करवाने के लिए दूसरे दिन का इंतजार करना पड़ता है, और दूसरे दिन भी यह पूरी तरह से नहीं कहा जा सकता की टेस्ट होगा या उसकी रिपोर्ट मिल पाएगी। ऐसे में जिला के सबसे बड़े अस्पताल में मरीजों को टेस्ट करवाने में खासी परेशानियां उठानी पड़ रही है। जिससे कहीं न कहीं सरकार द्वारा जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के दावों की पोल खुलती नज़र आती है।
बता दें कि मेडिकल कॉलेज में टेस्ट के लिए कृष्णा डॉयग्नोस्टिक कंपनी को नियुक्त किया गया है, लेकिन वह लगभग दो महीने से अस्पताल में अपनी लेब ही स्थापित नहीं कर पाई है। वर्किंग डे के कुछ शुरुवाती घंटो में गिने चुने मरीजों के सैंपल तो ले लिए जाते हैं, लेकिन रिपोर्ट के लिए दो से तीन दिन का इंतजार करना पड़ता है ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर आपातकाल में कोई मरीज आता है तो उसका इलाज बिना टेस्ट के कैसे होगा यह कल्पना से परे है।
अस्पताल में मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी लेने के लिए अस्पताल के नोटिस बोर्ड पर दिए गए लैंडलाइन नंबर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात करनी चाही तो कई बार फोन करने पर भी कोई कर्मचारी फोन उठाने को तैयार नहीं।
गौरतलब है कि एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में 14 जून को छपी ख़बर के मुताबिक मेडिकल कालेज नाहन में कृष्णा डॉयग्नोस्टिक ने 22 मई 2022 को कार्य संभाला था। कॉलेज प्रबंधन की ओर से सामान्य टेस्ट के लिए मेडिकल कालेज में करीब 900 वर्ग फुट जगह दी गई है। लेकिन दो महीने के लगभग का समय पूरा होने जा रहा है लेकिन वह अभी तक अपनी लैब ही स्थापित नहीं कर पाई।
कंपनी द्वारा कोविड अस्पताल के एक कमरे में सैंपल लिए जा रहे हैं। इन्हें जांच के लिए पठानकोट, अमृतसर और मोहाली की प्रयोगशालाओं में भेजा जा रहा है। ऐसे में रिपोर्ट आने में काफी समय लग रहा है। खासकर सामान्य टेस्ट की रिपोर्ट जो साथ के साथ मिल जाती थी, वह दूसरे या तीसरे दिन मिल रही है।
ख़बर के मुताबिक चिकित्सा अधीक्षक डा बलराम धीमान द्वारा कंपनी पदाधिकारियों को जल्द लैब शुरू करवाने के लिए निर्देश भी दिए जा चुके हैं लेकिन शायद कंपनी के पदाधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
वहीं अगर बात करें तो जनता के प्रतिनिधि और स्थानीय विधायक राजीव बिंदल का भी इस ओर कोई ध्यान नहीं है। अगर होता तो जिला के सबसे बड़े अस्पताल में यह हालत न होते। क्योंकि मौजूदा विधायक पूर्व में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं, और उन्ही की विधानसभा के सबसे बड़े अस्पताल में सामान्य टेस्ट सुविधा ही न मिल पाना बहुत ही चिंताजनक है। वहीं मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री के तो अपने ही गृह क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं न मात्र और बड़े अस्पताल वेंटीलेटर पर है। उनसे दूसरे जिला में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचा पाने की उम्मीद कर पाना ही न इंसाफी होगी।