शिमला |
Himachal News: तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे के मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने में एक बार फिर मामले की सुनवाई हुई। अदालत में लगातार दो घंटे तक चली सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी अपनी दलीलें पेश की। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इस मामले को सुना। दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने विधानसभा अध्यक्ष की ओर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस मामले की पैरवी की। उन्होंने अदालत को बताया कि निर्दलीय विधायकों की ओर से सौंपे गए इस्तीफे को स्वीकार करना या न करना विधानसभा अध्यक्ष के प्रशासनिक कार्यक्षेत्र में आता है।
अदालत के सामने सिब्बल ने अपनी दलीलों में कहा कि निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को इस्तीफे सौंपे और 23 मार्च को भाजपा में शामिल होकर 24 मार्च को चार्टर प्लेन से घूमने जाते हैं। ऐसे में इसे स्वेच्छा से दिया गया इस्तीफा कैसे माना जाएगा। निर्दलियों ने जब इस्तीफे सौंपे, तब विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर उनके साथ मौजूद थे। उन्होंने अदालत में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष इस मामले में कार्रवाई कर सकते हैं। यह मामला विधानसभा स्पीकर के क्षेत्राधिकार में आता है। सिब्बल ने अदालत को बताया कि स्पीकर की कार्रवाई में न ही राज्यपाल और न ही अदालत दखलअंदाजी कर सकती है।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंद्र सिंह ने इस केस में पैरवी की। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत में अपनी दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि निर्दलीय विधायकों की ओर से स्वेच्छा से दिए गए इस्तीफे को मंजूर किया जाना चाहिए। इस्तीफा देना और चुनाव लड़ना विधायकों का अधिकार है। उन्होंने अदालत से गुहार लगाई कि निर्दलीय विधायकों की ओर से सौंपे गए इस्तीफे को मंजूर किया जाए।
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