प्रजासत्ता ब्यूरो|
हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन सदन में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश की कमजोर अर्थव्यवस्था को लेकर राज्य सरकार श्वेत पत्र लाएगी। नियम 130 के तहत प्रदेश की आर्थिकी को सुदृढ़, आत्मनिर्भर और कर्ज व फिजूलखर्ची को रोकने को लेकर विधायक राजेंद्र राणा, राजेश धर्माणी, सुरेश कुमार, केवल सिंह पठानिया और चंद्र शेखर द्वारा लाई गई चर्चा के जवाब में मुख्यमंत्री ने यह बात कही।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि साढ़े चार साल में प्रदेश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी। अगामी 10 साल में हिमाचल सुंदर प्रदेश बने सरकार इसके लिए तेजी से काम कर रही है। मौजूदा समय मर प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। यह हालात अब के नहीं, बल्कि पहले से चल रहे हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश के हालात इतने ख़राब है कि 100 दिन के भीतर हमारी सरकार को 6,000 करोड़ का कर्जा लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि आज हिमाचल के हर व्यक्ति पर 92,833 रुपये का है। आर्थिक स्थिति ठीक न होने से विधायकों की क्षेत्र विकास निधि की अंतिम किस्त रोकनी पड़ी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आय के साधन कम है। ऐसे वाटर सेस, आबकारी नीति और बिजली प्रोजेक्ट से आय कमाने का साधन तलाशा है। शराब ठेकों की नीलामी से 40 फीसदी आय बढ़ी है। पहले यह 10 फीसदी थी। डीजल पर सेस बढ़ाने से भी आय हो रही है।
उन्होंने पूर्व की भाजपा सरकार ने पर हमला करते हुए कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कुछ नहीं किया। वहीँ केंद्र ने जून 2022 के बाद जीएसटी का मुआवजा देना बंद कर दिया। प्रदेश की खराब माली हालत के बावजूद पूर्व सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम छह महीने में बिना आधारभूत ढांचे व राजनीतिक लाभ लेने के लिए 920 संस्थान खोल दिए। अगर इन पर विचार किया जाता तो कर्मियों और अधिकारियों को तनख्वाह देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं होते। हिमाचल की भी श्रीलंका जैसी हालत हो जाती। 922 करोड़ रुपये डीए का देना है। व्यवस्था सुधारने के लिए कड़े फैसले लेने की जरूरत है।