Himachal News: 13 जुलाई 2025/ हिमाचल प्रदेश के कोटखाई क्षेत्र के चैथला गांव में वन भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई ने सभी का ध्यान खींचा है। हाईकोर्ट के सख्त आदेशों के बाद वन विभाग ने पहली बार बड़े बागवानों के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। अब तक छोटे किसानों पर ही कार्रवाई होती रही थी, लेकिन प्रभावशाली और बड़े पैमाने पर कब्जा करने वालों को हमेशा छूट मिलती रही।
बता दें कि इस बार, कोर्ट की सख्ती के बाद लगभग चार साल से कोर्ट में लंबित इस मामले में बार-बार निशानदेही और अन्य प्रक्रियाओं के कारण देरी हो रही थी। लेकिन हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद वन विभाग, राजस्व विभाग, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की संयुक्त टीम ने चैथला में अवैध कब्जे हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
स्थानीय मीडिया की खबरों के मुताबिक दो दिनों में लगभग 1200 सेब के पेड़ काटे जा चुके हैं, और 15 खसरा नंबर पूरी तरह खाली करवाए गए हैं। इसके अलावा अभी 175 खसरा नंबरों पर कब्जा हटाने का काम बाकी है। ऐसे में आने वाले दिनों में इन क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर कब्जा हटाने का अभियान शुरू होगा।
वहीँ चैथला के साथ-साथ कुमारसैन की बड़ागांव पंचायत के सराहन गांव में भी हाईकोर्ट के आदेशों के तहत कार्रवाई की गई। यहां सेब, नाशपाती और चेरी के करीब 320 पेड़ काटे गए। चार बागवानों के बगीचों में यह कार्रवाई हुई, जबकि बाकी बागवानों पर 14 जुलाई को कार्रवाई होगी। चैथला में वन विभाग की कार्रवाई शांतिपूर्ण रही। स्थानीय ग्रामीणों ने सहयोग का रवैया अपनाया, जिससे बिना किसी विवाद के अभियान को आगे बढ़ाया जा सका।
मिली जानकारी के मुताबिक रविवार सुबह 9 बजे से शुरू हुई कार्रवाई दोपहर तक चली, हालांकि बारिश के कारण कुछ देर के लिए रुकावट आई। बारिश रुकने के बाद फिर से अभियान शुरू किया गया। अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी, जब तक 3800 सेब के पेड़ और लगभग 300 बीघा वन भूमि पूरी तरह खाली नहीं हो जाती।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोटखाई के एसडीएम मोहन शर्मा ने बताया, “हाईकोर्ट के आदेशों का सख्ती से पालन किया जा रहा है। वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए यह अभियान शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से चल रहा है।”
उल्लेखनीय है कि हिमाचल हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि वन भूमि पर अतिक्रमण को अब किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह छोटा किसान हो या बड़ा बागवान। वहीँ पुलिस ने क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए आसपास के लोगों के हथियार भी जमा कर लिए हैं।
“हाईकोर्ट का पेड़ काटने का आदेश: क्या यह फैसला सही है..?”
हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश पर शिमला के चैथला गांव में वन भूमि पर अवैध रूप से लगाए गए सेब के बागीचों को काटे जाने के फैसले को लेकर अब सोशल मीडिया में बहस छिड गई है। सोशल मीडिया पर लोग इस निर्णय के खिलाफ कई सवाल खड़े कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि एक ओर जहां पेड़ काटने पर सजा का प्रावधान है, वहीं हाईकोर्ट का पेड़ काटने का आदेश समझ से परे लगता है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे से लगाए गए सेब के पेड़ों को नष्ट करना ही एकमात्र समाधान है? आखिर इन बेजुबान पेड़ों का क्या कसूर था क्योंकि एक पेड़ को जब लगाया जाता है, तब उसका पालन पोषण एक बच्चे की तरह किया जाता है और बड़ा होने पर वह फलदार हो जाता है तो लगाने वाले की आजिविका का साधन बनता है।
ऐसे में इनको काटने के बजाय, सरकार या वन विभाग इन बागीचों को अपने नियंत्रण में लेकर और उचित फेंसिंग कर इसका बेहतर उपयोग कर सकता है। इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि सरकार और विभाग को राजस्व भी प्राप्त होता। यह कदम न सिर्फ पर्यावरण के लिए लाभकारी होता, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी फायदेमंद साबित हो सकता है। जिससे कई लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध होने थे।
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