Himachal Monsoon Tragedy: हिमाचल प्रदेश में इस साल भी मानसून ने भारी तबाही मचाई है। 20 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से अब तक भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ जैसी घटनाओं में 31 लोगों की जान जा चुकी है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA Himachal) की रिपोर्ट के अनुसार, इन घटनाओं में 66 लोग घायल हुए हैं और 4 लोग अभी भी लापता हैं।
पिछले एक सप्ताह में भारी बारिश के कारण प्रदेश को 29.16 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। लोक निर्माण विभाग (PWD) को सबसे अधिक 27.43 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। बारिश और भूस्खलन के कारण 53 सड़कें बंद हो गई हैं, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसके अलावा, 135 विद्युत ट्रांसफार्मर और 147 जलापूर्ति योजनाएं भी क्षतिग्रस्त हुई हैं, जिससे कई इलाकों में बिजली और पेयजल संकट गहरा गया है।
राज्य में 6 घर पूरी तरह तबाह हो गए, जबकि 8 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। 7 दुकानें और 8 गौशालाएं भी पानी के तेज बहाव में बह गईं, जिसमें 37 पशु-पक्षियों की मौत हो गई।
कांगड़ा जिले में सबसे अधिक मौतें दर्ज की गई हैं। धर्मशाला के खनियारा में बाढ़ के कारण 6 लोगों की जान गई, जबकि अन्य जिलों में भूस्खलन, बिजली गिरने और डूबने जैसी घटनाओं में मौतें हुईं। कुल्लू के सैंज में बादल फटने की घटना में 3 लोग लापता हो गए, जिनकी तलाश में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें जुटी हैं।
मौसम विज्ञान केंद्र, शिमला ने 3 जुलाई तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। 29 जून को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, कांगड़ा, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। शिमला और सिरमौर में अगले 24 घंटों में फ्लैश फ्लड की आशंका जताई गई है। लोगों को नदियों और नालों से दूर रहने की सलाह दी गई है।
मौसम विभाग ने लोगों से संवेदनशील क्षेत्रों में यात्रा करने से बचने और यातायात परामर्श का पालन करने की अपील की है। किसानों को अपनी फसलों को तेज हवाओं से बचाने के लिए जाल का उपयोग करने की सलाह दी गई है।
वहीँ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राहत कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन ने सभी जिलों में आपातकालीन कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लापता लोगों की तलाश और प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य में जुटी हैं।
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