Himachal News: हिमाचल प्रदेश की वित्तीय हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। सीमित संसाधनों और बढ़ते खर्चों के दबाव में सुक्खू सरकार एक बार फिर कर्ज लेने की राह पर है। इस बार सरकार ने 1500 करोड़ रुपये का नया ऋण लेने का फैसला किया है, जिसमें 1000 करोड़ रुपये 15 वर्ष की अवधि और 500 करोड़ रुपये 10 वर्ष की अवधि के लिए होंगे।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले, जुलाई 2025 के अंतिम सप्ताह में भी सरकार ने 1000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। नियमों के अनुसार, यह नया कर्ज 28 अगस्त 2035 और 28 अगस्त 2040 तक चुकाना होगा। इस कर्ज के साथ ही प्रदेश का कुल कर्ज बोझ एक लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा।
सरकार का कहना है कि यह राशि प्रतिबद्ध दायित्वों को पूरा करने और विकास कार्यों की रफ्तार बनाए रखने के लिए खर्च की जाएगी। नीलामी की प्रक्रिया 26 अगस्त को होगी और 28 अगस्त को यह रकम सरकार के खाते में आ जाएगी।
हिमाचल प्रदेश की माली हालत बिगड़ी
नियमानुसार, यह कर्ज सरकार को 28 अगस्त 2035 और 28 अगस्त 2040 तक लौटाना होगा। इस नए कर्ज के बाद प्रदेश का कुल कर्ज एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा। वित्तीय संकट का असर सरकारी कर्मचारियों पर भी साफ दिखाई दे रहा है। मई में घोषित तीन फीसदी महंगाई भत्ता अब तक लागू नहीं हो सका है।
बता दें कि राज्य सरकार को दिसंबर तक कुल 7 हजार करोड़ रुपये कर्ज लेने की अनुमति मिली है, जिसमें से अगस्त के अंत तक 6700 करोड़ रुपये की सीमा पूरी हो जाएगी। यानी सरकार के पास वित्त वर्ष के बाकी महीनों में महज 300 करोड़ रुपये कर्ज लेने की गुंजाइश बचेगी। हालांकि, सरकार को उम्मीद है कि हाल ही की प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए केंद्र सरकार अतिरिक्त कर्ज की अनुमति दे सकती है।










