HP High Court: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक ऐसे शख्स को जमानत दे दी, जिस पर सोशल मीडिया पर “पाकिस्तान जिंदाबाद” लिखने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ पोस्ट करने का आरोप था। इस मामले में पुलिस ने देशद्रोह का केस दर्ज किया था, लेकिन अदालत ने साफ कर दिया कि यह पोस्ट राजद्रोह की श्रेणी में नहीं आती। ज
स्टिस राकेश कैंथला ने अपने फैसले में कहा कि सिर्फ “पाकिस्तान जिंदाबाद” लिखने से न तो कोई हिंसक विद्रोह भड़कता है और न ही यह देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देता है। कोर्ट ने यह भी माना कि आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं।
यह मामला सिरमौर जिले के पांवटा साहिब का है, जहां सुलेमान नाम का एक रेहड़ी वाला इस पोस्ट को लेकर चर्चा में आया था। उसने हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी थी, जिस पर मंगलवार को फैसला सुनाया गया।
दरअसल, यह पोस्ट 27 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद डाली गई थी, जिसके बाद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के तहत केस दर्ज किया था। पुलिस का दावा था कि यह पोस्ट देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा थी।
सुनवाई के दौरान सुलेमान ने कहा कि वह पढ़ा-लिखा नहीं है और सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करता। उसका फेसबुक अकाउंट उसके बेटे ने बनाया था और पोस्ट भी उसी ने डाली थी। सुलेमान के वकील ने यह भी तर्क दिया कि शिकायतकर्ता के साथ उसका पुराना पैसों का लेन-देन का झगड़ा था, जिसके चलते यह शिकायत की गई।
वहीँ दूसरी तरफ, सरकारी वकील लोकेंद्र कुटलेहरिया ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के समय यह पोस्ट डाली गई, इसलिए इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
सुलेमान ने 8 जून को पुलिस के सामने सरेंडर किया था और तब से वह हिरासत में था। उसका फोन फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया और पुलिस ने 6 अगस्त को चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी। फिर भी, कोर्ट ने माना कि उसे और हिरासत में रखना ठीक नहीं है।
लिहाजा अदालत ने , 50,000 रुपये के मुचलके पर उसे जमानत दे दी गई। हालांकि, कोर्ट ने शर्त रखी कि सुलेमान हर सुनवाई में मौजूद रहेगा और सात दिन से ज्यादा घर से बाहर जाने पर पुलिस को सूचना देगा। अगर वह इन शर्तों को तोड़ेगा, तो उसकी जमानत रद्द हो सकती है।










