Himachal News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में JOA-IT, माली, स्टेनोग्राफर, रिपोर्टर और ड्राइवर समेत विभिन्न श्रेणियां में भरे गए पदों में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं। विपक्षी दल भाजपा और बेरोजगार युवाओं का आरोप है कि बड़े नेताओं के करीबियों को नौकरी दी गई है। बीजेपी विधायक रणधीर शर्मा ने भी भर्ती में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। इसी तरह तत्कालीन वीरभद्र सरकार में डिप्टी एडवोकेट जनरल रहे विनय शर्मा ने भी भर्तियों में पर सवाल खड़े किए हैं।

सोशल मीडिया पर भी इस मामले में सरकार के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया देखने के लिए मिल रही है। वहीँ विवाद को बढ़ता देख हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय की ओर से इस पर स्पष्टीकरण जारी किया गया है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय के संयुक्त निदेशक और मुख्य प्रवक्ता हरदयाल भारद्वाज ने स्पष्ट किया कि बिना तथ्य जाने सोशल मीडिया के माध्यम से संवैधानिक पदों पर आरोप लगाना संवैधानिक मर्यादा और विशेषाधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा।
उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का पद संवैधानिक है और भर्तियों को लेकर उन पर आरोप लगाना पूरी तरह से अनुचित है। भारद्वाज ने बताया कि प्रदेश विधानसभा में भर्ती प्रक्रिया राजभवन, उच्च न्यायालय और प्रदेश लोक सेवा आयोग की तरह ही निजी सचिवालयों के माध्यम से की जाती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भर्ती प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है और सभी नियुक्तियां उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित आरक्षण नियमों और मापदंडों के अनुसार की गई हैं।
भर्तियों पर भ्रामक बयानबाजी को खारिज किया
भारद्वाज ने कहा कि हाल ही में विधानसभा सचिवालय में हुई भर्तियों को लेकर तथ्यहीन और भ्रामक बयान दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि विधानसभा के गठन के बाद से ही सभी जिलों के योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जाता रहा है। उन्होंने आंकड़े साझा करते हुए कहा कि शिमला से 37, सिरमौर से 11, बिलासपुर से 3, हमीरपुर से 7, कांगड़ा से 36, ऊना से 3, चंबा से 5, मंडी से 49, किन्नौर से 1, सोलन से 14, कुल्लू से 1, उत्तराखंड से 2 और चंडीगढ़ से 1 उम्मीदवारों को नियुक्तियां दी गई हैं।
वर्तमान भर्तियों में जिलेवार चयन
वर्तमान में मेरिट के आधार पर की गई नियुक्तियों में शिमला से 2, सिरमौर से 2, बिलासपुर से 1, हमीरपुर से 7, कांगड़ा से 1, ऊना से 1, चंबा से 15, मंडी से 2 और लाहौल-स्पीति से 1 उम्मीदवारों का चयन हुआ है। भारद्वाज ने जोर देकर कहा कि सभी नियुक्तियां पारदर्शी और नियमानुसार की गई हैं। उन्होंने जनता से अपील की कि बिना तथ्यों की पुष्टि किए किसी भी संवैधानिक पद या प्रक्रिया पर आरोप न लगाएं, क्योंकि ऐसा करना संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन माना जाएगा।
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