Union Budget Impact on Himachal Pradesh: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार (1 फरवरी ) को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया। मोदी सरकार 3.0 का पहला पूर्णकालिक बजट है, जबकि निर्मला सीतारमण ने आज लगातार 8वीं बार बजट पेश किया। बजट में ज्यादातर फोकस बिहार पर रहा। कई बड़े ऐलान किए गए, हालांकि अन्य राज्यों सहित हिमाचल प्रदेश को केंद्रीय बजट 2025 ने एक बार फिर निराश किया है।
आपदा से प्रभावित हिमाचल प्रदेश की सरकार ने केंद्र से कई बड़ी राहतों और विशेष आर्थिक पैकेज की उम्मीद लगाई थी, लेकिन बजट में हिमाचल के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया। राज्य के किसान, बागवान, उद्योग और रोजगार से जुड़े मुद्दों पर भी ध्यान नहीं दिया गया, जिससे प्रदेशवासियों को गहरी निराशा हाथ लगी है।
केंद्रीय बजट 2025 में हिमाचल के लिए कृषि, बागवानी, उद्योग और रोजगार से जुड़े मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया, जो राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है। क्योंकि हिमाचल के अधिकतर लोग इस पर निभर है। आपदा प्रभावित और वित्तीय संकट से जूझ रहे प्रदेश के विकास के लिए विशेष आर्थिक पैकेज और बुनियादी ढांचे के विकास की आवश्यकता है, लेकिन बजट में इन मांगों को अनदेखा किया गया है।
कृषि और बागवानी को झटका
हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागवानों के लिए बजट में कोई राहत नहीं मिली। सेब उत्पादकों ने आयात शुल्क और न्यूनतम आयात मूल्य बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन इन मांगों को नजरअंदाज कर दिया गया। कृषि यंत्रों, खाद, दवाओं और पैकेजिंग कार्टन पर जीएसटी छूट का भी कोई एलान नहीं हुआ। किसान सम्मान निधि की राशि में भी कोई बढ़ोतरी नहीं की गई, जबकि किसान क्रेडिट कार्ड पर ऋण सीमा 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दी गई है।
उद्योग और रोजगार पर ध्यान नहीं
हिमाचल के उद्योग जगत को भी बजट से कोई खास राहत नहीं मिली। एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) के लिए ऋण सीमा बढ़ाने का प्रावधान किया गया है, लेकिन राज्य में नए उद्योग स्थापित करने और मौजूदा उद्योगों के विस्तार के लिए कोई विशेष योजना नहीं बनाई गई। पर्यटन क्षेत्र को लेकर कुछ प्रावधान जरुर किए गए हैं, जैसे छोटे हवाई जहाजों के लिए उड़ान योजना का विस्तार और पर्यटन सर्किट विकसित करना। हालांकि, हिमाचल के लिए इनका सीधा लाभ स्पष्ट नहीं है।
रेलवे विस्तार और बुनियादी ढांचे की अनदेखी
हिमाचल प्रदेश में रेलवे विस्तार को लेकर भी बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई। नंगल-ऊना-तलवाड़ा रेल लाइन को पूरा करने के लिए केवल रूटीन बजट का प्रावधान किया गया है। भान्नुपल्ली-बिलासपुर रेल मार्ग और लेह तक रेललाइन पहुंचाने की योजना को भी अनदेखा कर दिया गया। इसके अलावा, प्रदेश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कोई विशेष आर्थिक पैकेज नहीं दिया गया।
राज्य की आर्थिक बंदिशें बरकरार
हिमाचल प्रदेश को 50 साल के लिए मिलने वाले ब्याज मुक्त ऋण की शर्तें पूरी करना मुश्किल होगा। राज्य में आय के साधन सीमित हैं और जीएसटी क्षतिपूर्ति समाप्त होने से वित्तीय स्थिति और कमजोर हुई है। भू-अधिग्रहण और रेलवे विस्तार के लिए भारी भरकम धनराशि की आवश्यकता है, जो राज्य के लिए चुनौतीपूर्ण है।
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