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Gudi Padwa 2023: मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में गुड़ी पडवा का त्योहार आज धूम धाम से मनाया जा रहा है। गुड़ी पाडवा यानीं मराठी कैलेंडर के अनुसार नए वर्ष की शुरुआत होती है। गुड़ी पाडवा के मौके पर मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में बड़े बड़े आयोजन किये गए हैं। लोग अपने घरों में गुड़ी लगाते हैं।
इसके अलावा राज्य के कई हिस्सों में शोभा यात्रा भी निकाली गई। मुंबई के गिरगांव इलाके में भव्य दिव्य शोभा यात्रा निकाली गई है। शोभा यात्रा में महिला पुरुष पारंपरिक भेष भूषा में बाइक पर सवार होकर पहुंचे। इसके अलाव लोगों का अलग अलग रूप भी देखने को मिला है।
नागपुर में निकाली गई शोभायात्रा
इन आयोजनों और एक परंपरा के तहत ठाणे में श्री अंबे माता चैत्र नवरात्रि उत्सव के दौरान शोभायात्रा का आयोजन किया गया। इस यात्रा में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी शामिल हुए। उधर, नागपुर में भी गुड़ी पड़वा मनाया गया। इस समय युवाओं को परेड के उत्साह में खुशी-खुशी भाग लेते देखा जा सकता है।
Maharashtra | Gudi Padwa is being celebrated in the state. Visuals of vibrant celebrations from Pune. pic.twitter.com/3RnENQipGB
— ANI (@ANI) March 22, 2023
क्यों मनाया जाता हैं यह पर्व
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष का शुभारंभ हो जाता है। इसके साथ ही आज के दिन महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का पर्व भी हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गुड़ी का अर्थ है विजय पताका।
गुड़ी पड़वा एक मराठी शब्द है जो दो शब्दों से मिल कर बना है ‘गुड़ी’ जिसका अर्थ है भगवान ब्रह्मा का ध्वज जिसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और ‘पड़वा’ का अर्थ है चंद्रमा के चरण। इस दिन सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हुए घरों में विजय पताका फहराया जाता है। यह पर्व कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में भी मनाया जाता है।
#WATCH | Maharashtra: Gudi Padwa is being celebrated in the state. Visuals of vibrant celebrations from Mumbai. pic.twitter.com/wLHdRDUvyP
— ANI (@ANI) March 22, 2023
इस दिन लगभग 5 फीट लंबी बांस की डंडे में नए कपड़े के टुकड़े बांधकर ध्वज या झंडा बनाया जाता है। उसके ऊपर नीम के पत्ते और मिश्री की बनी माला रखी जाती है। डंडे की चांदी या कांसे के बर्तन पर रखा जाता है। इसे बुराई दूर करने वाले ध्वज के रूप में रखा जाता है। माना जाता है कि यह ध्वज समृद्धि को आमंत्रित करता है। इसे रखकर लोग पूजा करते हैं और नीम के पत्तों से बने प्रसाद का ग्रहण करते हैं।
गुड़ी पड़वा मनाने की विधि
गुड़ी पड़वा के दिन घर की छत, आंगन या फिर मुख्य द्वार पर गुड़ी फहराया जाता है और मुख्य द्वार पर रंग-बिरंगे रंगों से रंगोली सजाई जाती है। ऐसा करने से नकारात्मक शक्तियां घर प्रवेश नहीं कर पाती हैं और भाग्य प्रबल रहता है। मान्यता है कि इस दिन रंगोली मनाने से आपके घर में सुख समृद्धि और खुशियां आती हैं।
इसके साथ ही हल्दी और सिंदूर से मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाया जाता है। महाराष्ट्र के घरों में इस दिन पूरन पोली नामक व्यंजन बनाया जाता है।
पौराणिक मान्यताएं
पौराणिक कथा के अनुसार त्रेतायुग में बाली नामक राजा किष्किन्धा पर शासन करता था। जब भगवान श्री राम लंकापति रावण की कैद से माता सीता को मुक्त कराने जा रहे थे, तब उनकी मुलाकात बाली के सगे भाई सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने श्री राम को अपने भाई के आतंक और कुशासन के विषय में बताया और अपना राज्य वापस मिलने पर उनकी सहायता करने का वचन दिया।
तब श्री राम ने बाली का वध कर, उसके आतंक से सुग्रीव और समस्त प्रजा को मुक्त कराया। उस दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि थी। यही कारण है कि इस दिन विशेष रूप से दक्षिण भारत में घरों में विजय पताका फहराया जाता है और गुड़ी पड़वा पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
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