India-Pakistan-Taliban Relations: हिमाचल प्रदेश की पर्यटक नगरी कसौली के ऐतिहासिक कसौली क्लब में शुक्रवार को 14वें खुशवंत सिंह लिटफेस्ट का आगाज हो गया। इस तीन दिवसीय साहित्यिक उत्सव में भारत-पाक संबंधों के मुद्दे पर चर्चा में भाग लेने के लिए, पूर्व रॉ प्रमुख एएस दुलत भी कसौली पहुंचे। हालांकि भारत-पाक संबंधों पर उनका सत्र शनिवार को आयोजित होगा।
लेकिन उससे पहले मीडिया से बातचीत में दुलत ने भारत-पाक संबंधों पर खुलकर अपनी बात रखी और दोनों देशों के बीच संवाद की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए संवाद को जरूरी बताया और कहा कि चाहे क्रिकेट का मैदान हो या कूटनीतिक मंच, दोनों देशों को आपसी समझ बढ़ानी चाहिए।
‘भारत-पाक के बीच तनाव कम हो, बातचीत जरूरी’
दुलत ने भारत-पाक संबंधों में चल रहे तनाव को गलत ठहराते हुए कहा, “यह तनाव अच्छा नहीं है।” दुलत ने खुशवंत सिंह के उपन्यास “ट्रेन टू पाकिस्तान” का जिक्र करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने के लिए आपसी संवाद बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा, “चाहे क्रिकेट के मैदान में हो या कूटनीतिक मंच पर, दोनों देशों को गर्मजोशी से हाथ मिलाना चाहिए।” उन्होंने कारगिल युद्ध का उदाहरण देते हुए बताया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने युद्ध के बाद भी पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ को आगरा में बातचीत के लिए बुलाया था। दुलत ने जोर देकर कहा, “चुनौतियां हों, फिर भी सीमा पार संवाद जारी रहना चाहिए।”
भारत-पाक क्रिकेट मैचों में तनाव पर दुलत ने कहा, “अगर आप पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलना चाहते, तो मत खेलिए। लेकिन अगर खेल रहे हैं, तो मैदान पर हाथ मिलाने में क्या दिक्कत है? खेल में शालीनता बरकरार रखनी चाहिए।” पंजाबी सिंगर और अभिनेता दिलजीत दोसांझ की हाल ही में आई फिल्म में पाकिस्तानी अभिनेत्री के विरोध पर उन्होंने कहा कि “अगर विरोध करना है, तो पहले करें। फिल्म बनने के बाद विरोध का क्या मतलब? अगर विरोध करना है, तो पहले करें कि पाकिस्तानी कलाकारों को अनुमति नहीं दें, बाद में हंगामा बेकार है।”
पाकिस्तान और तालिबान से रिश्तों पर विचार
मीडिया से बातचीत में पूर्व रॉ प्रमुख एएस दुलत ने भारत-पाक संबंधों को बेहतर करने के लिए व्यापार और आवाजाही बढ़ाने की वकालत की। उन्होंने कहा, “रिश्ते बनाए रखने से ही शांति संभव है। अगर रिश्ते नहीं बनाएंगे, तो बहाने बनते रहेंगे।” उन्होंने जोर देकर कहा कि जब भी दोनों देशों के बीच बातचीत होती है, तो जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां कम हो जाती हैं। “2003 में वाजपेयी सरकार के समय सीजफायर हुआ था, और मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी आतंकवाद कम रहा। लेकिन बातचीत बंद होने पर यह बढ़ जाता है।”
भारत-अफगानिस्तान के बढ़ते रिश्तों पर उन्होंने कहा कि इससे पाकिस्तान को परेशानी हो सकती है, लेकिन भारत को तालिबान सरकार के साथ संवाद बनाए रखना चाहिए। “अगर हमने समय पर अफगानिस्तान से संबंधों को मान्यता दे दी होती, तो 1999 का IC-814 विमान अपहरण नहीं होता और कंधार की घटना से बचा जा सकता था।”
पाकिस्तान में जनरल मुनीर को ‘मास्टर’ कहे जाने पर दुलत ने हल्के अंदाज में कहा, “पाकिस्तान चाहे मुनीर को बादशाह बनाए या कुछ और, यह उनका अंदरूनी मामला है। भारत ने मुशर्रफ को कारगिल का खलनायक माना, फिर भी बातचीत की। नेताओं की सोच से रिश्ते तय होते हैं।” उन्होंने खुद को डिप्लोमेट न बताते हुए कहा, “मैं साधारण बात कहता हूं, तनाव कम करें, बातचीत करें, आवाजाही बढ़ाएं।”
जनरल दुरानी के साथ किताब पर विवाद
दुलत ने अपनी किताब, जो पाकिस्तान के पूर्व जनरल दुरानी के साथ लिखी थी, पर हुए विवाद का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “विवाद ज्यादा पाकिस्तान में हुआ। जनरल दुरानी को बाहर जाने की अनुमति बंद हो गई। मैंने उनसे माफी मांगी, लेकिन उन्होंने कहा कि मैं ज्यादा घबरा रहा हूं। अब सब ठीक है।”
लद्दाख में Gen-Z के आंदोलन पर चेतावनी और सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर
लद्दाख में हाल के Gen-Z आंदोलन को दुलत ने चेतावनी का संकेत बताया। उन्होंने कहा, “लद्दाख में जो हुआ, वह छोटा लग सकता है, लेकिन बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में युवाओं के आंदोलनों से सबक लेना चाहिए। यह कहीं भी फैल सकता है।”
सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर उन्होंने कहा, “लद्दाख वासियों की मांग पुरानी है। 1989 में जब कश्मीर में आतंकवाद शुरू हुआ, तब लद्दाखवासी केंद्र शासित प्रदेश चाहते थे। 2019 में वह मिला, लेकिन अब वे कहते हैं कि पहले बेहतर थे। यह ऊपर-नीचे चलता रहता है।”
उन्होंने केंद्र सरकार की चुप्पी पर टिप्पणी करने से बचते हुए कहा, “सरकार उनकी गिरफ्तारी पर बेहतर जानती है।” वांगचुक की गिरफ्तारी पर उठे पाकिस्तानी कनेक्शन के सवाल पर दुलत ने कहा, “यह पाकिस्तान की साजिश नहीं, बल्कि चीन से जुड़ा हो सकता है। अगर पाकिस्तान का संबंध था, तो उन्हें वहां जाने ही नहीं देना चाहिए था।”












