Trump Tariffs New Update: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी मैत्रीपूर्ण संबंधों का जिक्र करते हैं, वहीं दूसरी ओर रूस को यूक्रेन युद्ध से बाहर निकालने के लिए भारत और चीन पर कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की योजना बुन रहे हैं।
हाल ही में ट्रंप ने G-7 देशों से अनुरोध किया है कि वे रूस से तेल आयात करने वाले भारत और चीन पर 50 से 100 प्रतिशत तक टैरिफ थोप दें। यह कदम रूस की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने और युद्ध समाप्त करने की दिशा में अमेरिका की नई रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
G-7 के साथ वर्चुअल बैठक की तैयारी
ट्रंप ने इस उद्देश्य से G-7 के वित्त मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक बुलाई है। कनाडा, जो वर्तमान में G-7 की अध्यक्षता कर रहा है, ने इस अपील और बैठक की पुष्टि की है। कनाडा के अधिकारियों का कहना है कि बैठक में रूस की सैन्य क्षमता को कमजोर करने वाले उपायों पर चर्चा होगी। ट्रंप का मानना है कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर आर्थिक बोझ डालकर मॉस्को को शांति वार्ता की मेज पर लाया जा सकता है।
रूस पर दबाव की नई चाल
ट्रंप रूस-यूक्रेन संघर्ष को जल्द समाप्त करने के लिए आर्थिक हथियारों का सहारा ले रहे हैं। रूस को फंडिंग रोकने के लिए वे उसके प्रमुख तेल खरीदारों – भारत और चीन – को निशाना बना रहे हैं। अमेरिका ने पहले ही भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाकर कुल दायित्व को 50 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया है। अब ट्रंप अन्य G-7 सदस्यों को भी ऐसा करने के लिए उकसा रहे हैं, ताकि रूस की तेल राजस्व पर सीधी मार पड़े। हाल के दिनों में रूस के यूक्रेन पर ड्रोन हमलों की तीव्रता बढ़ने से ट्रंप की हताशा साफ झलक रही है।
यूरोपीय संघ की असहमति
ट्रंप ने पहले यूरोपीय संघ (EU) से भी यही मांग की थी कि वह भारत और चीन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाए। हालांकि, EU ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। EU को चिंता है कि ऐसे कदम से भारत और चीन जैसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं और प्रतिशोधी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इसके बजाय, EU 2027 तक रूस पर अपनी ऊर्जा निर्भरता समाप्त करने के लिए कड़े प्रतिबंधों पर जोर दे रहा है। EU का यह रुख ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति से अलग है, जहां वे सहयोगियों को भी अपने साथ खींचना चाहते हैं।
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर
भारत और रूस के बीच व्यापार इस साल मार्च तक 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो महामारी पूर्व के स्तर से 5.8 गुना अधिक है। ट्रंप की यह रणनीति भारत के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है, खासकर जब दोनों देशों के बीच हाल ही में व्यापार समझौते की बात चल रही है। भारत ने अमेरिकी टैरिफ को ‘अनुचित और असंगत’ बताते हुए विरोध जताया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल आर्थिक दबाव बढ़ाएगा, बल्कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था को भी प्रभावित कर सकता है।












