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Vice President Resignation: राजस्थान की दो बड़ी हस्तियों का 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा, एक संयोग या साजिश?

Vice President Resignation: राजस्थान की दो बड़ी हस्तियों का 21 जुलाई को इस्तीफा, एक संयोग या साजिश?

Vice President Resignation Controversy : राजस्थान से देश के उपराष्ट्रपति रहे दो दिग्गज नेताओं, बाबोसा भैरोसिंह शेखावत (Babosa Bhaironsingh Shekhawat) और जगदीप धनकड़  (Jagdeep Dhankar) ने अपने-अपने कार्यकाल में 21 जुलाई को इस्तीफा देकर सबको हैरान कर दिया। यह एक संयोग या साजिश, इसको लेकर अब सोश मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई है।

दरअसल, साल 2007 में भैरोसिंह शेखावत और अब 2025 में जगदीप धनकड़ ने 21 जुलाई की तारीख को अपने पद से हटने का फैसला लिया, जो संयोग से ज्यादा कुछ और लग रहा है। आइए, इस दिलचस्प घटनाक्रम पर नजर डालते हैं।

भैरोसिंह शेखावत का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

भैरोसिंह शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर 1923 को राजस्थान के सीकर जिले के खाचरियावास गांव में एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता देवी सिंह एक साधारण किसान थे, जबकि माता बाने कंवर एक गृहिणी थीं।

गरीबी में पले-बढ़े शेखावत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में प्राप्त की और बाद में पुलिस विभाग में नौकरी शुरू की। 1950 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जनसंघ (जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बनी) से जुड़ गए।

जगदीप धनकड़ का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जगदीप धनकड़ का जन्म राजस्थान के झुंझुनू जिले के किथाना गांव में एक हिंदू जाट परिवार में हुआ। उनके पिता गोकल चंद और माता केसरी देवी थे, जो एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे।

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उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा किथाना गवर्नमेंट स्कूल और घारधाना गवर्नमेंट स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद वे सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ से पढ़ाई पूरी करने के लिए गए। बाद में उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से विधि स्नातक (LLB) की डिग्री हासिल की और वकालत शुरू की।।

भैरोसिंह शेखावत का राजनीतिक जीवन

  • प्रारंभिक राजनीति: 1952 में शेखावत ने पुलिस निरीक्षक की नौकरी से इस्तीफा देकर राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। यह उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत थी।
  • मुख्यमंत्री पद: वे राजस्थान के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 1977-80, 1990-92 और 1993-98 के दौरान तीन बार इस पद पर कार्य किया। 1977 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी की जीत के बाद वे मुख्यमंत्री बने, जब पार्टी ने राज्य की 200 में से 151 सीटें जीतीं।
  • उपराष्ट्रपति पद: 19 अगस्त 2002 को शेखावत भारत के उपराष्ट्रपति चुने गए, जब पूर्व उपराष्ट्रपति कृष्ण कांत के निधन के बाद यह पद रिक्त हुआ। वे 21 जुलाई 2007 तक इस पद पर रहे। वे BJP से उपराष्ट्रपति बनने वाले पहले व्यक्ति थे।
    अन्य उपलब्धियां: शेखावत ने राजस्थान विधानसभा के कई क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया और 2003 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
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जगदीप धनकड़ का राजनीतिक करियर

  • प्रारंभिक राजनीति: धनकड़ ने 1980 के दशक में राजनीति में कदम रखा और भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़े। वे राजस्थान में कई बार विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे।
  • केंद्र और राज्य में भूमिकाएं: वे 2014 से 2019 तक केंद्रीय राज्य मंत्री (कृषि और किसान कल्याण) के रूप में कार्यरत रहे। इसके अलावा, 2019 में उन्हें राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 2022 तक सेवा की।
  • उपराष्ट्रपति पद: 6 अगस्त 2022 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में धनकड़ ने 74.37% वोट हासिल कर विजय प्राप्त की, जो 1992 के बाद सबसे बड़ी जीत मानी गई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 11 अगस्त 2022 को उन्हें शपथ दिलाई। वे इस पद पर कार्यरत थे जब 21 जुलाई 2025 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

Vice President Resignation: एक संयोग या साजिश?

दोनों नेताओं का 21 जुलाई को इस्तीफा देना महज इत्तेफाक नहीं लगता। भले ही शेखावत का फैसला उनकी हार से प्रेरित था, लेकिन धनकड़ के मामले में स्वास्थ्य का हवाला देते हुए भी राजनीतिक चाल की बू आ रही है। क्या यह तारीख किसी बड़े राजनीतिक खेल का हिस्सा है? या फिर राजस्थान की धरती से निकले इन नेताओं के लिए यह दिन किसी खास महत्व का रहा? अभी तक इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है, लेकिन चर्चाएं जोरों पर हैं।

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राजस्थान की जनता इन दोनों नेताओं को अपने दिल में संजोए रखती है। शेखावत की सादगी और धनकड़ की कर्तव्यनिष्ठा को लोग आज भी याद करते हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग इसे संयोग बताते हुए भावुक टिप्पणियां कर रहे हैं, तो कुछ इसे सत्ता की चाल कहकर सवाल उठा रहे हैं।

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