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Himachal Pradesh: हाई कोर्ट का फैसला, मृतक के कानूनी वारिसों को कोर्ट में शामिल करना जरूरी, जानिए क्या है पूरा मामला..

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Himachal Pradesh High Court: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति, जिसके खिलाफ कोर्ट का फैसला (डिक्री) हुआ हो और वह मर जाए, तो उसके कानूनी वारिसों (जैसे बेटा, बेटी, पत्नी आदि) को कोर्ट की कार्यवाही में शामिल करना होगा। यह नियम तब भी लागू होता है, अगर वह व्यक्ति कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ था (एक्स-पार्टे फैसला)।

आखिर मामले में क्या हुआ था?

एक व्यक्ति (याचिकाकर्ता) ने कोर्ट से एक मृतक के खिलाफ फैसला हासिल किया था। यह फैसला उस समय हुआ जब मृतक कोर्ट में मौजूद नहीं था। बाद में, जब इस फैसले को लागू करने (एक्जीक्यूशन) की प्रक्रिया चल रही थी, तब उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई। सिविल कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि मृतक के वारिसों को कार्यवाही में शामिल करना होगा।

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याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में अपील की और कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है, जो मृतक के वारिसों को शामिल करने को कहता हो। उसका कहना था कि वह बिना किसी रुकावट के फैसले को लागू कर सकता है।

हाई कोर्ट ने क्या कहा?

हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की बात खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 50 के तहत, अगर कोई व्यक्ति मर जाता है और कोर्ट का फैसला अभी लागू नहीं हुआ है, तो उसके वारिसों के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीपीसी के नियमों के अनुसार, मृतक के वारिसों को किसी भी समय कार्यवाही में शामिल किया जा सकता है, और मृत्यु की वजह से कार्यवाही रुकती नहीं है।

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हाई कोर्ट का अंतिम फैसला

हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि मृतक के कानूनी वारिसों को कोर्ट में शामिल करना जरूरी है।

  • केस का नाम: गंगा जोगटा बनाम नंद लाल (मृतक) के वारिस
  • फैसले की तारीख: 13 अगस्त 2025

साधारण भाषा ने कहें तो अगर कोर्ट का फैसला किसी के खिलाफ है और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार वालों या वारिसों को कोर्ट में लाना होगा, चाहे वह पहले कोर्ट में आया हो या नहीं।

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