International Shri Renukaji Fair हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय श्रीरेणुकाजी मेला इस बार 31 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। सिरमौर जिले के ददाहू में होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय मेले की रौनक पांच नवंबर तक चलेगी। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू शोभायात्रा के साथ मेले का आगाज करेंगे। पहली बार झील किनारे माता श्रीरेणुकाजी की आरती होगी। 1 नवंबर को एकादशी अमृत स्नान व दंगल होगा। जबकि 5 नवंबर को राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल समापन की रस्म निभाएंगे।
दोपहर करीब 1 बजे जिला प्रशासन ददाहू में CM का स्वागत करेगा। इसके बाद 1:35 पर सुक्खू जी देवताओं की अभिनंदन करेंगे और परशुराम जी की पालकियों को कंधा देकर यात्रा शुरू करेंगे। शाम 4:15 बजे वे परशुराम मंदिर में पूजा करेंगे। 5:05 पर मेले की प्रदर्शनियां खोलेंगे और घूमेंगे भी। खास बात ये कि रेणुका झील किनारे पहली बार माता रेणुकाजी की आरती शाम 6 बजे होगी। 6:35 पर CM सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे और लोगों को संबोधित भी करेंगे।
इसके 5 नवंबर सुबह 4 बजे कार्तिक पूर्णिमा पर अमृत स्नान। दोपहर 1:20 पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल मंदिर में पूजा करेंगे और देव पालकियों को विदा देंगे। 1:45 पर प्रदर्शनियां देखेंगे। शाम 4 बजे रेणु मंच से संबोधन देंगे, विजेताओं को इनाम बांटेंगे और मेला बंद हो जाएगा। शाम 6 बजे आरती के बाद 7 बजे से परशुराम जी की कथा का नाटक होगा।
उधर जिला सिरमौर की उपायुक्त एवं श्रीरेणुकाजी विकास बोर्ड की उपाध्यक्ष प्रियंका वर्मा ने बताया कि मेले की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। लोगों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे, पार्किंग की व्यवस्था तथा पुलिस प्रशासन की तैनाती के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
जानिए, क्यों मनाया जाता है मेला
हिमाचल प्रदेश के प्राचीन मेलों में से एक है अंतरराष्ट्रीय श्रीरेणुकाजी मेला। मां-पुत्र के पावन मिलन का यह श्रीरेणुकाजी मेला हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की दशमी से पूर्णिमा तक प्रसिद्ध तीर्थस्थल श्रीरेणुकाजी में मनाया जाता है। जनश्रृति के अनुसार, इस दिन भगवान परशुराम जामूकोटी से वर्ष में एक बार अपनी मां रेणुकाजी से मिलने आते हैं। यह मेला श्रीरेणुका मां के वात्सल्य व पुत्र की श्रद्धा का अनूठा संगम है जो असंख्य लोगों की अटूट श्रद्धा एवं आस्था का प्रतीक है।
मध्य हिमालय की पहाड़ियों के आंचल में सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र का पहला पड़ाव है श्री रेणुका जी। यह स्थान नाहन से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर भारत का प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। जहां नारी देह के आकार की प्राकृतिक झील जिसे मां श्रीरेणुकाजी की प्रतिछाया भी माना जाता है। इसी झील के किनारे मां श्रीरेणुकाजी व भगवान परशुरामजी के भव्य मंदिर हैं।
यह मेला मां रेणुकाजी के वात्सल्य एवं पुत्र की श्रद्धा का एक अनूठा आयोजन है। एक सप्ताह तक दिन तक चलने वाले इस मेले में आसपास के सभी ग्राम देवता अपनी-अपनी पालकी में सुसज्जित होकर मां-पुत्र के इस दिव्य मिलन में शामिल होते हैं। कई धार्मिक अनुष्ठान सांस्कृतिक कार्यक्रम, हवन, यज्ञ, प्रवचन एवं हर्षोल्लास इस मेले का भाग है। हिमाचल प्रदेश, उतरांचल, पंजाब तथा हरियाणा के लोगों की इसमे अटूट श्रद्धा है।












