Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

Muscular Dystrophy पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन, चिकित्सा विशेषज्ञों ने साझा किए नवीन शोध और पुनर्वास की रणनीतियाँ

Muscular Dystrophy पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन, चिकित्सा विशेषज्ञों ने साझा किए नवीन शोध और पुनर्वास की रणनीतियाँ

Muscular Dystrophy Treatment in Himachal:  सोलन जिला के कोठों स्थित इंटीग्रेटेड मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रिहैबिलिटेशन सेंटर (IMDRC), मानव मंदिर में शुक्रवार को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एवं अन्य आनुवंशिक विकारों पर राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला इंडियन एसोसिएशन ऑफ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (IAMD) द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से आयोजित की गई।

कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहीं आईएएमडी की अध्यक्ष संजना गोयल ने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चों के लिए जीवनशैली, आहार, और पुनर्वास से जुड़ी आधुनिक रणनीतियों पर चर्चा करना था। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में विशेष रूप से जीएनई मायोपैथी के उपचार में हो रही प्रगति, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के नए उपचार विकल्प, और दुर्लभ आनुवंशिक रोगों को लेकर सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर गहन विमर्श हुआ।

कार्यशाला में देशभर के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों से विशेषज्ञ शामिल हुए। इसमें AIIMS दिल्ली, भोपाल, बिलासपुर, जोधपुर, PGIMER चंडीगढ़, SIR GANGA RAM HOSPITAL, CHG बैंगलुरु, CDFD हैदराबाद, GROW LAB, आशिका विश्वविद्यालय, स्वावलम्बन फाउंडेशन राजस्थान, और भरथ एमडी फाउंडेशन जैसे संस्थानों के डॉक्टरों ने शिरकत की।

इसे भी पढ़ें:  Maan Chandi Devi Shakti Peeth: माँ चंडी देवी मंदिर, हिमाचल का उभरता हुआ शक्ति पीठ

ऑनलाइन माध्यम से ICMR की डॉ. रुचि सिंह और एम्स दिल्ली की प्रो. डॉ. शैफाली गुलाटी ने भी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। इस कार्यक्रम में डॉ. अश्विन दलाल (CDFD, हैदराबाद),,डॉ. आशीष शर्मा (AIIMS, बिलासपुर),,डॉ. रेणु सुथर (PGI, चंडीगढ़), डॉ. लोकेश सेणी (AIIMS, जोधपुर), डॉ. अनुराधा दिवाकर शिनॉय (AIIMS, भोपाल), डॉ. संजीवा जी.एन. (CHG, बैंगलुरु), डॉ. समीर भाटिया (सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली), डॉ. गौतम कामिला (AIIMS, दिल्ली), डॉ. वैभव भंडारी (स्वावलम्बन फाउंडेशन, राजस्थान), मुरली चेतलपल्ली (भरथ एम.डी. फाउंडेशन, हैदराबाद) के अलावा काफी संख्या में अन्य लोग भी मौजूद रहे।

इस कार्यशाला में यह भी चर्चा हुई कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसे दुर्लभ रोगों से पीड़ित मरीजों के पुनर्वास में परिवार और समाज की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। कार्यशाला के अंत में एक चिकित्सीय रणनीति तैयार की गई, जो देशभर में इन रोगों से जूझ रहे मरीजों के लिए एक दिशा-निर्देश का काम करेगी।

AIIMS बिलासपुर बन सकता है ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’

वहीँ  मीडिया से बातचीत के दौरान डॉ. अश्विन दलाल (CDFD, हैदराबाद), ने बताया कि प्रदेश के मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रोगियों की मदद के लिए “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” बनाने के लिए हिमाचल सरकार को केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजने की ज़रूरत है।  ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए AIIMS बिलासपुर एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

इसे भी पढ़ें:  कसौली: विधायक विनोद सुल्तानपुरी ने क्षेत्र में हुए भारी नुकसान पर फोरलेन कंपनी को ज़िम्मेदार ठहराया

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और अन्य दुर्लभ आनुवंशिक रोगों से पीड़ित हिमाचल के हज़ारों रोगियों के लिए राहत की बड़ी संभावना तब बन सकती है। यह कदम न केवल रोगियों को बार-बार दिल्ली या अन्य बड़े शहरों के चक्कर लगाने से बचाएगा, बल्कि हिमाचल को दुर्लभ रोगों के उपचार व शोध में एक अग्रणी राज्य बना सकता है।

क्या है ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’?

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा देशभर के विभिन्न राज्यों से ऐसे संस्थानों को चुना जा रहा है, जिन्हें “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” के रूप में मान्यता दी जा सके। यह पहल रेयर डिजीज पॉलिसी 2021 के अंतर्गत की जा रही है। अब तक देशभर में 13 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाए जा चुके हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है। हर राज्य से अपेक्षा की गई है कि वे अपने यहां के किसी उपयुक्त संस्थान को नामांकित करें। राज्य का डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DHS) इस नामांकन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है।

इसे भी पढ़ें:  Solan News: बीबीएन में बढ़ते हादसे चिंता का विषय, बढ़ता ट्रैफिक निगल रहा लोगों की जान..!

“मानव मंदिर”: मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Muscular Dystrophy) रोगियों की उम्मीदों का केंद्र

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले स्थित ‘मानव मंदिर‘ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से जूझ रहे रोगियों के लिए एक “नई आशा की किरण” बनकर उभरा है। जहाँ हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य देश के अन्य राज्यों  के अलावा  विदेशों से भी  मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित  उपचार का लाभ लेने के लिए पहुँच रहे हैं। बता दन कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति को धीरे-धीरे कमजोर बना देती है और उसका दैनिक जीवन कठिन हो जाता है। ऐसे रोगियों की देखभाल एक सेवा-भावना की मांग करती है, और सोलन का ‘मानव मंदिर’ इस भावना का सजीव उदाहरण है।

YouTube video player
संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Join WhatsApp

Join Now