भगवान शिव का प्रिय मास सावन मंगलवार( 4 जुलाई) को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और ऐंद्र योग में शुरूवात हो गई है । 19 वर्ष के बाद इस बार मलमास होने से 59 दिनों का सावन रहेगा इसलिए भोले के भक्त 59 दिनों तक शिवोपासना कर सकेंगे । इसमें कुल आठ सोमवार होंगे। जुलाई में चार व चार अगस्त मास में पड़ेंगे। मलमास वाला सावन 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। शिवालय और मंदिरों में भगवान शिव का रुद्राभिषेक मंगलवार से शुरू हो गया।
उल्लेखनीय है कि सावन के महीने को देवों के देव महादेव की आराधना करने के लिए सबसे उत्तम माना गया है। इस पूरे माह में शिव जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। शिव जी को श्रावण मास का देवता कहा जाता है। मान्यता है कि सावन माह में भगवान शिव पार्वती के साथ पृथ्वी लोक पर विराजमान रहकर पृथ्वी वासियों के दुख-दर्द को समझते है एवं उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं, इसलिए सावन का महीना खास होता है।
मान्यताओं के अनुसार कहते हैं माता पार्वती ने भी शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए सावन महीने में ही कठोर तप किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। अच्छे वर की प्राप्ति के लिये इस महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए। सावन में शिव-गौरी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही दांपत्य जीवन भी सुखमय और खुशहाल रहता है।
सावन के महीने में शिवलिंग के जलाभिषेक का खास महत्व होता है। सावन महीने में लोग सुख-शांति और समृद्धि के लिए भगवान शिव का जलाभिषेक कर भगवान की प्रिय वस्तुएं उन्हें अर्पित करते हैं और शिव को प्रसन्न करते हैं।











