Justice Yashwant Varma Case: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि उनका आचरण विश्वास पैदा नहीं करता। कोर्ट ने सवाल उठाया कि उन्होंने आंतरिक जांच समिति के सामने पेश क्यों होकर उसकी प्रक्रिया का हिस्सा बने, जबकि उन्हें पहले कोर्ट में आना चाहिए था।
[BREAKING] Your conduct does not inspire confidence: Supreme Court reserves judgment in Justice Yashwant Varma case
report by @DebayonRoy https://t.co/NZOy0qrZ3K
— Bar and Bench (@barandbench) July 30, 2025
जस्टिस वर्मा ने आंतरिक जांच रिपोर्ट और पूर्व मुख्य न्यायाधीश की ओर से कैश एट होम मामले (cash at home case) में उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। कैश एट होम मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जस्टिस वर्मा से पूछा कि यदि वे मानते थे कि आंतरिक समिति के पास वैध अधिकार नहीं हैं, तो उसके सामने पेश होने का निर्णय क्यों लिया।
जस्टिस वर्मा के वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि समिति की ओर से जस्टिस वर्मा को पद से हटाने की सिफारिश असंवैधानिक है और यह एक खतरनाक उदाहरण स्थापित करेगी। कोर्ट ने जवाब में कहा कि यदि मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के पास कदाचार से संबंधित कोई प्रमाण हैं, तो वे इसे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सूचित कर सकते हैं। इस मामले की सुनवाई जस्टिस दीपांकर दत्ता और एजी मसीह की बेंच कर रही है।
जस्टिस वर्मा के वकील ने दलील दी कि मामला तूल पकड़ने के बाद टेप सार्वजनिक हो चुका था, जिससे उनकी छवि धूमिल हो गई थी। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में सीधे कोर्ट का रुख करना उचित था।
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस दीपांकर दत्ता की अगुआई वाली बेंच ने जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा, जिसमें उन्होंने पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की ओर से उनके खिलाफ बर्खास्तगी की सिफारिश को चुनौती दी थी। यह सिफारिश उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास से बड़ी रकम के अनुचित नकदी बरामद होने के मामले में की गई थी।कोर्ट ने संकेत दिया कि चूंकि जज की बर्खास्तगी पर अभी संसद विचार कर रही है, इसलिए वह इस मामले में हस्तक्षेप से बच सकता है।
क्या है पूरा मामला (Justice Yashwant Varma Case)
दरअसल, मार्च 2025 में दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना हुई थी। इस आग में उनके स्टोर रूम में भी क्षति पहुंची, जहां बड़ी मात्रा में जले हुए 500 रुपये के नोट बरामद हुए। जस्टिस वर्मा और उनके परिवार ने इन नोटों से इनकार करते हुए इसे बदनामी की साजिश करार दिया।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने तीन न्यायाधीशों की एक आंतरिक समिति गठित की। समिति के सामने पेश होने के बाद जस्टिस वर्मा पर स्टोर रूम पर उनका कब्जा होने का आरोप सिद्ध हुआ। इसके आधार पर मुख्य न्यायाधीश ने रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजते हुए उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश की।
-
Parliament Monsoon Session 2025: मोदी सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में 16 घंटे की चर्चा कराने पर जताई सहमति
-
Operation Sindoor Debate: ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार को घेरा..
-
Rakhi Beauty Tips: रक्षाबंधन 2025-9 अगस्त को मनाया जाएगा त्योहार, शहनाज हुसैन ने साझा किए सौंदर्य टिप्स
-
Monsoon Session: कान खोलके सुन लें विपक्ष, PM मोदी और ट्रंप के बीच नहीं हुई कोई बात..
-
Solan News: हिमाचल में छात्राओं से अभद्र व्यवहार का आरोपी फिजिक्स शिक्षक नौकरी से हटाया गया












