Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

Himachal News: हिमाचल हाईकोर्ट ने सरकारी जमीन पर कब्जा नियमित करने वाला कानून रद्द किया

HP News: Himachal Bhawan Delhi:, Himachal News, CPS Appointment Case, Himachal HIGH COURT, Himachal High Court Himachal High Court Decision Shimla News: HP High Court Himachal News Himachal Pradesh High Court

Himachal News:  हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को नियमित करने वाले कानून को 23 साल बाद असंवैधानिक और मनमाना घोषित करते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम की धारा 163-ए और इसके तहत बने नियमों को तत्काल प्रभाव से खारिज कर दिया। यह धारा सरकार को सरकारी जमीन पर कब्जे को वैध बनाने के लिए नियम बनाने का अधिकार देती थी।

कोर्ट के प्रमुख निर्देश

न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और विपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने यह फैसला पूनम गुप्ता बनाम हिमाचल प्रदेश मामले में सुनाया। कोर्ट ने सरकार को 28 फरवरी 2026 तक सभी सरकारी जमीनों से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया। साथ ही, जिन राजस्व अधिकारियों की निगरानी में अतिक्रमण हुआ, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

इसे भी पढ़ें:  Himachal News: नकली दवा निर्माता कंपनियों पर शिकंजा कसने की जरूरत, सरकार और विभाग का अभी तक नकारात्मक रवैया..!

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई भूमि सार्वजनिक उपयोग के लिए अधिग्रहित की गई थी और पूर्व मालिक ने उस पर दोबारा कब्जा किया, तो वह विपरीत कब्जे का दावा नहीं कर सकता। ऐसे मामलों में अतिक्रमण हटाने की लागत और जमीन के उपयोग का शुल्क वसूला जाएगा।

अतिक्रमण की स्थिति और कोर्ट की टिप्पणी

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हिमाचल में 57,549 अतिक्रमण के मामले हैं, जो करीब 1,23,835 बीघा सरकारी जमीन पर हैं। 15 अगस्त 2002 तक नियमितीकरण के लिए 1,67,339 आवेदन प्राप्त हुए थे। कोर्ट ने कहा कि सरकार सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करने के बजाय अतिक्रमण को वैध बनाने की कोशिश कर रही है, जो सार्वजनिक ट्रस्ट सिद्धांत के खिलाफ है।

इसे भी पढ़ें:  एसडीआरएफ को भूमि स्थानांतरित करने में तेजी लाएगी सरकार :- जय राम ठाकुर

इस सिद्धांत के तहत, सरकार को प्राकृतिक संसाधनों को जनहित में संरक्षित करना चाहिए, न कि निजी हितों के लिए उनका उपयोग करना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह सरकार की गलत नीतियों का मूकदर्शक नहीं बन सकता।

कोर्ट ने धारा 163-ए को विरोधाभासी बताया, क्योंकि यह एक ओर अतिक्रमण पर रोक लगाने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर उसे वैध बनाने की अनुमति देती है। कोर्ट ने सरकार को धारा 163 से उस प्रावधान को हटाने पर विचार करने को कहा, जो अतिक्रमणकारियों को विपरीत कब्जे के आधार पर मालिकाना हक का दावा करने की अनुमति देता है।

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Join WhatsApp

Join Now