Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आवारा कुत्तों से संबंधित एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मामले में याचिका दायर करने वाले व्यक्तिगत कुत्ता प्रेमियों को 25,000 रुपये और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को 2 लाख रुपये कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करने होंगे। यह राशि सात दिनों के भीतर जमा करनी होगी, अन्यथा याचिकाकर्ता या हस्तक्षेपकर्ता को मामले में आगे सुनवाई की अनुमति नहीं मिलेगी।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जमा की गई राशि का उपयोग आवारा कुत्तों के लिए बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के विकास में किया जाएगा, जिसे संबंधित नगर निकायों की देखरेख में लागू किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कानूनी प्रक्रिया केवल अदालती कार्यवाही तक सीमित न रहे, बल्कि जमीनी स्तर पर कुत्तों के कल्याण के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
NGOs पर जुर्माने को लेकर स्पष्टीकरण
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील विवेक शर्मा ने बताया कि आदेश में उल्लिखित जुर्माना आम नागरिकों पर लागू नहीं है। उन्होंने कहा, “25,000 रुपये और 2 लाख रुपये का जुर्माना केवल गैर-सरकारी संगठनों और स्वतः संज्ञान मामलों में हस्तक्षेप करने वालों के लिए है। इसका उद्देश्य आवारा कुत्तों के कल्याण के लिए धनराशि का उपयोग करना है।”
आदेश में संशोधन
कुत्ता प्रेमियों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों से संबंधित अपने पूर्व आदेशों में बदलाव किया। कोर्ट ने नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उनके मूल क्षेत्रों में छोड़ने की अनुमति दी, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर भोजन देने पर प्रतिबंध लगा दिया। साथ ही, नगर निकायों को प्रत्येक वार्ड में फीडिंग जोन स्थापित करने का निर्देश दिया गया। कोर्ट ने अपने आदेश का दायरा पूरे देश तक विस्तारित कर दिया।
आदेश की मुख्य बातें
1. उपचार के बाद वापसी: आवारा कुत्तों को नसबंदी, टीकाकरण और उपचार के बाद उनके मूल क्षेत्रों में छोड़ा जा सकता है।
2. सार्वजनिक स्थानों पर भोजन प्रतिबंध: सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों को खाना देना सख्ती से प्रतिबंधित होगा। नगर निकायों को प्रत्येक वार्ड में फीडिंग जोन बनाना होगा। उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई होगी।
3. आक्रामक या रेबीज प्रभावित कुत्तों का प्रबंधन: रेबीज के लक्षण या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को क्वारंटीन या आश्रय गृहों में रखा जाएगा।
4. गोद लेने को प्रोत्साहन: लोग आवारा कुत्तों को गोद ले सकते हैं, लेकिन उनकी जिम्मेदारी होगी कि कुत्ते सड़कों पर वापस न छूटें।
5. राष्ट्रीय नीति का दायरा: कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाया है और हाई कोर्ट्स में लंबित सभी समान मामलों को अपने अधीन लेते हुए एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने का निर्देश दिया है।
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