Winter Health Tips: आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद पारिक ने सर्दी के मौसम (शरद और हेमंत ऋतु) के लिए खास हेल्थ टिप्स और डाइट प्लान साझा किए हैं। उनका कहना है कि इस मौसम में खान-पान और जीवनशैली में छोटे बदलाव करके भी हम कई तरह की बीमारियों से बच सकते हैं और खुद को फिट व हेल्दी रख सकते हैं।
सर्दी का मौसम सेहत के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहता है। लिहाजा, इस मौसम में खान-पान को लेकर भी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। खानपान में छोटी-छोटी गलतियां भी आपके लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं। आयुर्वेद चिकित्सा में उपरोक्त दोनों ऋतुओं में भी खान-पान का विशेष महत्व बताया गया है।
पांवटा साहिब आयुर्वेदिक अस्पताल में तैनात वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक (विशेषज्ञ) डा. प्रमोद पारिक ने बताया कि शरद ऋतु और हेमंत ऋतु में लोगों को स्वस्थ रहने के लिए क्या खाना चाहिए और किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर ऋतु में स्वस्थ रहने और बीमारियों से बचने के लिए आयुर्वेद में विशेष आहार-विहार का वर्णन किया गया है और इसके तहत उपरोक्त दोनों ऋतुओं में भी सही डाइट प्लान फॉलो करने की आवश्यकता है।
डा. पारिक ने बताया कि नवंबर माह तक चलने वाली शरद ऋतु में बुखार, त्वचा-विहार, दाह-जलन उल्टी, सिरदर्द, चक्कर आना, खट्टी डकारें, जलन, प्यास, कब्ज, अफारा, अपचन, जुकाम, अरूची आदि रोगों की संभावना अधिक होती है। इस मौसम में गर्म तासीर वाले लोगों को अधिक कष्ट होता है। वहीं दिसंबर और जनवरी में हेमंत ऋतु में वायु के रोग, वायु व कफ के रोग, अधरंग, दमा, पैर के तलवे व हाथों में बिवाई फटना व नजला-जुकाम होने की ज्यादा संभावना रहती है।
डा. पारिक के मुताबिक नवंबर माह तक शरद ऋतु में हल्का भोजन करना चाहिए और पेट साफ करना हितकर है। मधुर रस एवं शीतल आहार लेना, नीम, करेला आदि का उपयोग करना, चावल, जौ का सेवन करना चाहिए। करेला, परवल, तुरई, मेथी, लौकी, पालक, मूली, सघाड़ा, अंगूर, टमाटर, फलों का रस, सूखे मेवे, नारियल का प्रयोग करें।
इलायची, मुन्नकादाख, खजूर व घी का प्रयोग भी जरूरी है। त्रिफला चूर्ण, अमलताश का गुद्दा, छिलकें वाली दालें, मसाले रहित सब्जी का प्रयोग करें। प्रातः काल गुनगुने पानी के साथ नींबू के रस का सेवन करें। रात्रि में हरड़ चूर्ण का प्रयोग विशेष लाभदायक है। तेल की मालिश, हल्के व्यायाम, प्रातःकाल भ्रमण करना चाहिए। शीतल जल से स्नान करना चाहिए। हल्के वस्त्र धारण करें। रात्रि में चंद्रमा की किरणों का सेवन करें और चंदन व मुलतानी मिट्टी का लेप भी लाभदायक है।
इन चीजों का न करें सेवन
वरिष्ठ चिकित्सक के अनुसार शरद ऋतु में मैदा से बनी हुई वस्तुएं, गर्म, तीखा, भारी, मसालेदार भोजन और तेल में बने हुए खाद्य पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। दही व मछली का प्रयोग न करें। अमरूद को खाली पेट न खाएं। कंद शाक, वनस्पति घी, मूंगफली, भूट्टे, कच्ची ककड़ी का अधिक सेवन न करें। दिन में न सोयें। मुंह ढककर न सोएं और धूप से बचें।
दिसंबर और जनवरी में अपनाएं ये डाइट प्लान
शरद ऋतु के बाद दिसंबर और जनवरी में हेमंत ऋतु में शरीर संशोधन के लिए वमन व कुंजल (नमकीन पानी पीकर उल्टी करना) आदि करें। स्निग्ध, मधुर, गुरू (भारी), लवण युक्त गर्म भोजन का सेवन करें। घी, तेल युक्त आहार लें। गोंद, अश्वगंधा, मेथी के लड्डू, कौंच-पाक, चव्यनप्राश, सूखे मेवे, नए चावल आदि का सेवन हितकारी है।
सर्दी से बचाव के लिए अपनाए ये तरीके
उन्होंने बताया कि हेमंत ऋतु में शरीर पर उबटन लगाना, तेल की मालिक करना, गुनगुने पानी से नहाना, ऊनी कपड़ों का प्रयोग करें। सिर, कान, नाक, पैर के तलुओं पर मालिश करें। गर्म और गहरे रंग के कपड़े पहनें। आग तापना व धूप का सेवन लाभदायक है। इसके अलावा हाथ पैर धोने के लिए गुनगुने पानी को प्रयोग में लाएं। जूते, मोजे, दस्ताने, टोपी, मफलर, स्कार्फ, धाटू आदि भी पहनें।
ये काम न करें
डा. पारिक ने बताया कि दिसंबर और जनवरी माह में ठंडा भोजन, वायु बढ़ाने वाले आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। बहुत कम मात्रा में भोजन और बहुत पतला भोजन न करें। इसके अलावा दिन में न सोएं और इस मौसम में ठंडी हवा हानिकारक साबित हो सकती है। लिहाजा अधिक हवादार स्थान में नहीं रहना चाहिए। नंगे पांव बिल्कुल न रहें और हल्के व सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए।












