Kanwar Yatra 2025: भगवान शिव को समर्पित पवित्र कांवड़ यात्रा हर साल करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन होती है। श्रावण माह (जुलाई-अगस्त) के दौरान आयोजित होने वाली यह पवित्र वार्षिक तीर्थयात्रा, जिसका पालन कभी ऋषि-मुनियों द्वारा किया जाता था, अब दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार और अन्य राज्यों के करोड़ों भक्तों को आकर्षित करती है।
कांवड़ यात्रा के दौरान, श्रद्धालु गोमुख,गंगोत्री या हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने प्रिय मंदिरों में स्थापित शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए निकलते हैं। कांवड़ यात्रा न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेकर अपनी आस्था और भक्ति व्यक्त करते हैं।
यात्रा गहरी भक्ति से भरी हुई होती है, और यात्रामार्ग का वातावरण ‘बोल बम’, ‘बम बम भोले’ और ‘हर हर महादेव’ के जयकारों से गूंजता है क्योंकि कांवड़िये आस्था और उद्देश्य में एकजुट होकर एक साथ चलते हैं। इस दौरान देवों के देव महादेव के भजनों की गूंज सभी को थिरकने के लिए मजबूर कर देती है।
कब होगी Kanwar Yatra 2025 की शुरुवात ( Kanwar Yatra 2024 Start And End Date)
हिंदू कैलेंडर के अनुसार पांचवा सावन माह (Sawan 2025) होता है, जिसे श्रावण माह के नाम से भी जाना जाता है। इस माह में महादेव के संग मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत होती है। भोले के भक्त इस समय भोले के रंग में रंगे होते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कांवड़ यात्रा की शुरुआत को लेकर विद्वानों के विभिन्न मत हैं। कुछ इसे भगवान परशुराम, श्रवण कुमार, भगवान राम और रावण से जोड़ते हैं, जबकि कुछ विद्वान समुद्र मंथन के समय शिव द्वारा विषपान करने के बाद देवताओं द्वारा जलाभिषेक किए जाने की घटना से इसे संबंधित मानते हैं। माना जाता है कि तभी से कांवड़ यात्रा की परंपरा की शुरुआत हुई
वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष कांवड़ यात्रा की शुरुआत सावन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होगी, जो 11 जुलाई, 2025 को देर रात 2:06 बजे शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन, यानी 12 जुलाई, 2025 को देर रात 2:08 बजे होगा। इस प्रकार, सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई, 2025 से मानी जाएगी और इस माह का समापन 9 अगस्त, 2025 को होगा। इस साल 11 जुलाई, 2025 से सावन माह की शुरुआत हो रही है, और इसी दिन से कांवड़ यात्रा की शुरुआत भी होगी।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। लेकिन यदि सावन के सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाए, तो उसका फल कई गुना बढ़ जाता है। इस वर्ष सावन माह में चार सोमवार पड़ रहे हैं। पहला सोमवार 14 जुलाई को, दूसरा सोमवार 21 जुलाई को, तीसरा सोमवार 28 जुलाई को और चौथा सोमवार 4 अगस्त को रहेगा।
कांवड़ यात्रा के लिए विशेष नियम (Kanwar Yatra Special Rules)
आइए, जानते हैं कांवड़ यात्रा के दौरान पूर्ण सात्विकता बनाए रखने के महत्व के बारे में। इस महान यात्रा के दौरान तामसिक चीजों का सेवन पूरी तरह से वर्जित है, चाहे वह कांवड़िया हो या उसका परिवार। कांवड़ को हमेशा शुद्ध और पवित्र रखना चाहिए, इसे कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए। यदि किसी कारणवश इसे नीचे रखना पड़े, तो इसे हमेशा किसी स्वच्छ स्थान पर, लकड़ी या कपड़े पर रखें। कांवड़ को अपवित्र हाथों से छूने से बचें और इसे सदैव पवित्र बनाए रखें।
यात्रा के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य माना गया है। मन को शांत रखना अत्यंत आवश्यक है, इस दौरान किसी भी प्रकार के वाद-विवाद या क्रोध से बचना चाहिए। भगवान शिव का ध्यान और भजन करते रहना चाहिए, जिससे यात्रा की महिमा और भी बढ़ जाती है।
बहुत से कांवड़ यात्री नंगे पैर यात्रा करते हैं, क्योंकि इसे तपस्या का हिस्सा माना जाता है, लेकिन यह निर्णय साधक को अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार लेना चाहिए। यात्रा के दौरान न किसी अन्य कांवड़िये को और न ही किसी अन्य व्यक्ति को परेशान करना चाहिए।
साधक जिस गंगाजल को लेकर यात्रा कर रहे हैं, उसकी पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। यात्रा के प्रत्येक चरण में स्वच्छता का पालन करें, क्योंकि यह यात्रा केवल शारीरिक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धता की यात्रा भी है।
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