Health Insurance Port: आज के समय में स्वास्थ्य बीमा उतना ही आवश्यक हो गया है, जितना किसी व्यक्ति के लिए रोजमर्रा का भोजन। बढ़ते मेडिकल खर्चों को देखते हुए हर घर में हेल्थ इंश्योरेंस होना जरूरी हो गया है। यह अब सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि एक मजबूरी बन चुका है।
फिर भी, कई बार जल्दबाजी में लोग ऐसा प्लान चुन लेते हैं, जो उनके लिए फायदेमंद नहीं होता। अगर आप भी किसी खराब हेल्थ इंश्योरेंस से परेशान हैं, तो चिंता न करें, आप इसे पोर्ट भी करवा सकते हैं। आइए जानते हैं कि यह कदम आपके लिए सही है या नहीं।
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी क्या है?
बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने एक नियम लागू किया है, जिसके तहत हेल्थ इंश्योरेंस धारक अपनी मौजूदा बीमा कंपनी को बदल सकते हैं। सरल भाषा में, इसका मतलब है कि आप अपनी पुरानी पॉलिसी को दूसरी कंपनी में स्थानांतरित कर सकते हैं। कई लोग सोचते हैं कि ऐसा करने से उनके पहले के लाभ खत्म हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि पुरानी कंपनी में पूरी हो चुकी बीमारी की वेटिंग अवधि नई पॉलिसी में भी वैध रहेगी।
लोग हेल्थ इंश्योरेंस क्यों पोर्ट करते हैं?
कई बार ग्राहक अपनी बीमा कंपनी की सेवा से नाखुश होते हैं या नए शहर में बसने के बाद नजदीकी अस्पतालों के नेटवर्क की सुविधा चाहते हैं, जिसके लिए वे पोर्टिंग चुनते हैं। इसके अलावा, अगर किसी को लगता है कि दूसरी कंपनी का दावा प्रक्रिया बेहतर है और प्रीमियम कम है, तो भी वे अपनी पॉलिसी को ट्रांसफर कर लेते हैं।
कब कर सकते हैं पोर्ट?
अगर आप मानते हैं कि हेल्थ पॉलिसी को कभी भी पोर्ट किया जा सकता है, तो यह गलतफहमी है। पॉलिसी को केवल नवीनीकरण के समय ही स्थानांतरित किया जा सकता है। साथ ही, शहर बदलने या कंपनी बदलने पर प्रीमियम में वृद्धि हो सकती है। हर बीमा कंपनी की अपनी शर्तें भी होती हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी है।
कैसे करवाएं पोर्ट?
हेल्थ इंश्योरेंस को पोर्ट करना बहुत आसान प्रक्रिया है। सबसे पहले नई बीमा कंपनी की पॉलिसी और नियमों को अच्छी तरह समझें। इसके बाद अपनी मौजूदा पॉलिसी की जानकारी के साथ पोर्टेबिलिटी के लिए आवेदन करें। नई कंपनी आपके पुराने बीमा रिकॉर्ड की जांच करेगी, और यदि सब कुछ सही पाया गया तो आपकी पॉलिसी सफलतापूर्वक ट्रांसफर हो जाएगी।
सावधानी और सुझाव
पोर्टिंग से पहले अपनी जरूरतों और नई पॉलिसी के कवरेज को ध्यान से तौलें। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम तभी उठाना चाहिए, जब मौजूदा पॉलिसी में सुधार की कोई गुंजाइश न बची हो। इससे न केवल आपकी चिकित्सा सुरक्षा बनी रहेगी, बल्कि बेहतर सुविधाएं भी मिलेंगी।











