Himachal Assembly Session: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिसके बाद हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। यह टकराव राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के एक बयान से शुरू हुआ, जिसे विपक्ष ने “अमर्यादित” और “अस्वीकार्य” बताया।
मंत्री जगत सिंह के हमले से शुरू हुआ विवाद
दरअसल, नियम 67 के तहत चर्चा में भाग लेते हुए राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने पूर्व जयराम सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, “नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर जब मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने प्रदेश को कबाड़ बना दिया था।” इसके साथ ही मंत्री ने प्रदेश में भूमि सौदों को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अब इन मामलों से “पर्दा उठने वाला है” और यह पता चलेगा कि “कौन लोग नीचे से सीधी फाइल बाइहैंड लाते हैं।”
मंत्री के इन बयानों के बाद विपक्ष ने सदन में जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामा इतना बढ़ गया कि कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। भोजन अवकाश के बाद जब मंत्री नेगी ने फिर बोलना शुरू किया, तो विपक्ष ने सदन से Walkout कर दिया।
‘सहने की कोई मजबूरी नहीं’
सदन के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा, “राजस्व मंत्री ने बदतमीजी की सारी सीमाएं लांघ दी हैं। वह जिस विषय पर बोलने के लिए उठे, उस पर नहीं बोले और सीधे व्यक्तिगत आरोपों पर उतर आए।” ठाकुर ने आगे कहा, “सरकार की मजबूरी हो सकती है ऐसे व्यक्ति को सहने की, हमारी कोई मजबूरी नहीं है। हमने अध्यक्ष से आग्रह किया कि उनके अमर्यादित शब्द रिकॉर्ड से हटाए जाएं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसलिए हमने सदन का बहिष्कार करने का फैसला किया।”
जयराम ठाकुर ने कहा” जब हमने सदन के भीतर अध्यक्ष से आग्रह किया कि हमें अपनी बात रखने का मौका दिया जाए, तो हमें यह मौका नहीं दिया गया। इसके विपरीत, मंत्री जी के उन शब्दों को रिकॉर्ड में जाने दिया गया, जो सदन की कार्यवाही के लिए उचित नहीं थे। हमने बार-बार आग्रह किया कि उन अमर्यादित शब्दों को रिकॉर्ड से हटाया जाए, लेकिन वे नहीं हटाए गए।
इस सरकार का रवैया और भी दुर्भाग्यपूर्ण है, जबकि दूसरी ओर, राज्य में आपदा की स्थिति है। सिराज क्षेत्र में 33 लोगों की जान चली गई है। अभी तक केवल 11 शव बरामद हुए हैं, जबकि 22 लोग अभी भी लापता हैं। ऐसे गंभीर हालात में, राजस्व मंत्री उन्हीं प्रभावित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा रहे हैं। आपदा के संदर्भ में अब तक केवल तीन मामले दर्ज किए गए हैं। मंत्री का इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। इस सरकार का क्या हश्र होगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।”











