Himachal Monsoon Session: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का आगाज तीखी नोकझोंक और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बार-बार वॉकआउट के साथ हुआ है। सत्र के पहले दिन सोमवार को जहाँ विपक्ष द्वारा प्राकृतिक आपदा पर लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के लिए सदन का सारा काम रोक दिया गया।
वहीं, मंगलवार को सत्र के दूसरे दिन सुबह 11 बजे प्रश्नकाल के साथ कार्यवाही शुरू हुई, जिसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। इनमें हिमकेयर योजना के तहत मरीजों को लाभ न मिलने का मुद्दा प्रमुख रहा, जिस पर विपक्ष ने तीखा विरोध जताया। सत्तापक्ष के जवाबों से असंतुष्ट होकर भाजपा ने बार-बार सदन से वॉकआउट किया।
हिमकेयर योजना पर विपक्ष का हंगामा
प्रश्नकाल के दौरान नाचन से भाजपा विधायक विनोद कुमार ने हिमकेयर योजना के तहत मरीजों को इलाज में हो रही परेशानियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस योजना के तहत लोगों को अस्पतालों में इलाज के लाभ नहीं मिल रहे हैं, और मरीजों को अपनी ज्वेलरी तक गिरवी रखनी पड़ रही है।
स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने जवाब में कहा कि योजना में रु. 364 करोड़ की देनदारियां लंबित हैं और इसमें कई अनियमितताएं थीं, जिन्हें सुधारने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, मंत्री के इस जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ। नारेबाजी के बीच भाजपा विधायकों ने जोरदार विरोध दर्ज किया और सदन से वॉकआउट कर दिया। विपक्षी नेता जयराम ठाकुर ने सरकार पर मरीजों को मुफ्त इलाज की सुविधा खत्म करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह गरीबों के साथ अन्याय है।
सत्तापक्ष और विपक्ष में तीखी तकरार
हिमकेयर योजना के अलावा, विपक्ष ने सत्तापक्ष के जवाबों को अपर्याप्त बताते हुए अन्य मुद्दों पर भी वॉकआउट किया। भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने न केवल हिमकेयर योजना को कमजोर किया, बल्कि बिजली और पानी की सब्सिडी वापस लेने जैसे जनविरोधी फैसले भी लिए। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष पर राजनीतिक ड्रामा करने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार जनकल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने दावा किया कि पिछली भाजपा सरकार ने राज्य को वित्तीय संकट में डाला, जिसे उनकी सरकार ठीक करने की कोशिश कर रही है।

सीएम सुक्खू का भाजपा पर तंज: “दिशाहीन पार्टी, एक घंटे में चार बार वॉकआउट”
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा के बाहर पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि एक घंटे में चार बार वाकआउट करना भाजपा की दिशाहीनता को दर्शाता है। सीएम ने विपक्ष से कृषि और बागवानी विधेयक जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर रचनात्मक चर्चा करने की अपील की, लेकिन उनका कहना था कि भाजपा बिना तर्क सुने हर मुद्दे पर वॉकआउट कर रही है, जो उनकी हताशा को उजागर करता है।
सुक्खू ने कहा कि सदन में तर्कपूर्ण बहस होनी चाहिए। अगर सत्तापक्ष का जवाब संतोषजनक न हो, तभी वॉकआउट का कदम उचित है, लेकिन भाजपा बिना जवाब सुने ही सदन छोड़कर चली जाती है। उन्होंने इसे अभूतपूर्व बताया और कहा कि भाजपा में पांच गुटों की आपसी खींचतान सदन में भी साफ दिख रही है।
भाजपा पर भ्रष्टाचार का आरोप
सीएम ने पिछली भाजपा सरकार पर जनता का पैसा लुटाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने हिमकेयर योजना को बंद नहीं किया, बल्कि इसे और प्रभावी बनाकर गरीबों को मुफ्त इलाज सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राज्य सरकार केंद्र से विशेष आपदा राहत पैकेज की उम्मीद कर रही है, ताकि प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को बेहतर मदद दी जा सके।
300 यूनिट फ्री बिजली और स्मार्ट मीटर पर सीएम ने दिए जवाब
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में बिजली बिल, स्मार्ट मीटर और सब्सिडी जैसे मुद्दों पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच गहरी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कई अहम खुलासे किए और सरकार की योजनाओं को स्पष्ट किया। सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार 125 यूनिट बिजली मुफ्त दे रही है और भविष्य में आर्थिक स्थिति सुधरने पर 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने विधानसभा में कहा कि स्मार्ट बिजली मीटर लगाने का कार्य देख रही कंपनियों की जांच होगी।
कैबिनेट रैंक नेताओं के बिजली बिल पर रु. 17 लाख का खर्च
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले साल से 20 फरवरी 2025 तक कैबिनेट रैंक वाले नेताओं के बिजली बिलों के लिए सरकार ने रु. 17,95,879 का भुगतान किया है। यह जवाब विपक्ष के सवाल के बाद आया, जिसमें बिजली बिलों पर सरकारी खर्च की जानकारी मांगी गई थी।
स्मार्ट मीटर कंपनी पर ब्लैकलिस्ट का सवाल
कांगड़ा के विधायक सुधीर शर्मा ने स्मार्ट बिजली मीटर लगाने वाली कंपनी के चयन पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार ने ऐसी कंपनी को ठेका दिया है, जो अन्य राज्यों में ब्लैकलिस्ट हो चुकी है। साथ ही, उन्होंने 300 यूनिट मुफ्त बिजली की गारंटी को पूरा करने की समयसीमा भी पूछी। जवाब में सीएम ने कहा कि कंपनी के ब्लैकलिस्ट होने की जानकारी की जांच की जाएगी। मुफ्त बिजली योजना पर उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में काम कर रही है, लेकिन समयसीमा का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया।
बीपीएल परिवारों के नाम पर 79 बिजली मीटर का मामला
शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया ने बीपीएल परिवारों और उद्योगों द्वारा बिजली मीटरों के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि एक बीपीएल व्यक्ति के नाम पर 79 मीटर, एक के नाम पर 75 और एक अन्य के नाम पर 70 मीटर रजिस्टर्ड हैं, जो सब्सिडी का लाभ ले रहे हैं। सीएम ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह गंभीर मामला है और इसकी जांच की जाएगी ताकि सब्सिडी का सही उपयोग हो।
स्मार्ट मीटर से नौकरियों पर असर नहीं
चंबा के विधायक डॉ. हंसराज ने स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली बिल वसूलने वाले कर्मचारियों की नौकरी पर चिंता जताई। इस पर मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार किसी का रोजगार नहीं छीनेगी। स्मार्ट मीटर लगने के बाद इन कर्मचारियों को युक्तीकरण के तहत अन्य कार्यों में समायोजित किया जाएगा।
स्मार्ट मीटर लगाने की योजना
सीएम ने बताया कि राज्य में अब तक IPDS और RDSS योजनाओं के तहत 6,52,955 स्मार्ट मीटर शिमला, धर्मशाला और शिमला जोन के कुछ क्षेत्रों में लगाए जा चुके हैं। शिमला जोन के बाकी क्षेत्रों में फरवरी 2026 तक स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य है। इसके अलावा, मंडी, हमीरपुर और धर्मशाला जोन में 5,05,078 स्मार्ट मीटर लगाने के आदेश जारी हो चुके हैं। साथ ही, 14,78,945 अतिरिक्त स्मार्ट कंज्यूमर मीटर लगाने की मंजूरी राज्य बिजली बोर्ड की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने दे दी है।
हिमाचल विधानसभा सत्र में स्मार्ट मीटर, बिजली बिल और सब्सिडी जैसे मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की, लेकिन मुख्यमंत्री ने जवाबों के साथ स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की।











