Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

Himachal Politics: शांता कुमार का तीखा तंज: “कुर्सी जनाजा तो नहीं, कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं?”

Himachal Politics: शांता कुमार का तीखा तंज: “कुर्सी जनाजा तो नहीं, कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं?”

Himachal Politics News: हिमाचल आज एक ऐसा प्रद्रेश बन चुका है जहाँ समस्याओं का पहाड़ खड़ा है और समाधान की राह धुंधली नजर आती है। सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने 2022 में सत्ता में आते ही ‘व्यवस्था परिवर्तन’ का नारा बुलंद किया था। मगर दो साल बाद, यह नारा एक खोखले वादे सा लगने लगा है, जो अव्यवस्था के जाल में उलझकर रह गया है।

प्रदेश की जनता शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, रोजगार, आर्थिक तंगी और महँगाई से परेशान है। जिसको देखकर लगता है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार का ‘व्यवस्था परिवर्तन’ का नारा अब एक कटु व्यंग्य बन चुका है, जिस पर हर कोई तंज कस रहा है। ताजा मामला पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता शांता कुमार का है, जिन्होंने बिना नाम लिए सुक्खू के नेतृत्व पर ऐसा सटीक तंज कसा कि सुख की सरकार की नाकामियाँ फिर से सुर्खियों में आ गईं।

इसे भी पढ़ें:  कसौली में गर्मियों में राहत के पल गुजारने पत्नी संग आते थे मिल्खा सिंह

शांता कुमार, विपक्षी दल भाजपा के वही नेता है, जिन्होंने आपदा के समय और कई मंचों पर सुक्खू की तारीफ की थी, इस बार अपने तीखे अंदाज में सरकार की कमजोरियों को उजागर करने से नहीं चूके। उन्होंने अपन्से सोशल मीडिया से एक पोस्ट शेयर करते हुए सख्त टिप्पणी की है।

पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि हर बात की सीमा होती है। सीमा की भी सीमा होती है। जब सारी सीमाएँ टूट जाएँ, तो दिल पत्थर होने लगता है और चिल्लाने लगता है। यही हाल कई वर्षों से अखबारों में दो समाचार पढ़ते-पढ़ते मेरी तरह लाखों पाठकों का हो गया होगा।

उन्होंने कहा कि आज के अखबार के पहले पृष्ठ के शीर्षक में एक समाचार है – टाण्डा में 6 माह में 51 मौतें – चारों एक्स-रे मशीनें खराब, जरूरी टेस्ट एमआरआई व सीटी स्कैन के लिए 2 माह की लंबी तारीख।

इसे भी पढ़ें:  जिला परिषद कर्मचारी पेनडाउन स्ट्राइक: पंचायतीराज मंत्री ने बुलाई बैठक

शांता कुमार ने कहा कि हिमाचल में कई दवाइयों के सैंपल फेल हुए। दूसरे समाचार में – हाल के टेस्ट में हिमाचल में बनी 57 दवाइयाँ फेल हो गईं। इससे पहले हिमाचल में अप्रैल माह में 32, मार्च माह में 38 और जनवरी माह में 28 सैंपल फेल हुए थे। हिमाचल में देश की 30 प्रतिशत दवाइयों का उत्पादन होता है।

उन्होंने कहा कि ये दो समाचार एक बार नहीं, बार-बार अखबारों में पढ़-पढ़कर मैं बहुत परेशान हो गया हूँ। अपने प्रदेश की इन दो महत्वपूर्ण बातों को पढ़कर बहुत दुखी हूँ। आज कुछ भी कहने को मेरे पास नहीं है, केवल सरकार को एक उर्दू कविता की ये पंक्तियाँ कह रहा हूँ:

कुर्सी है, जनाजा तो नहीं
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते?

YouTube video player
संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Join WhatsApp

Join Now