Himachal Pradesh High Court: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की पुरानी खूबसूरती और आकर्षण खतरे में है। हाई कोर्ट ने शहर में पैदल रास्तों पर गाड़ियों की अवैध पार्किंग और सड़कों पर कूड़े के ढेर को लेकर चिंता जताई है। कोर्ट ने शिमला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और गृह सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे शहर में पैदल यात्रियों के लिए बंद की गई सड़कों का ब्योरा और स्थिति रिपोर्ट पेश करें।
मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधवालिया और जस्टिस रंजन शर्मा की खंडपीठ ने कहा, “शिमला की सड़कों पर दोपहिया और चारपहिया वाहन बेतरतीब खड़े किए जा रहे हैं, जिससे पैदल रास्ते अवरुद्ध हो रहे हैं। इसके चलते स्थानीय लोग वाहनों के पीछे कूड़ा फेंक रहे हैं, जिससे शहर की साफ-सफाई का स्तर बहुत नीचे चला गया है।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि शिमला अपनी उस पुरानी पहचान को खो रहा है, जहां लोग छाता और जैकेट के साथ टहलते थे। अब शहर मसूरी जैसी स्थिति में पहुंच रहा है, जहां बंद सड़कों पर भी वाहन दौड़ रहे हैं।
दरअसल, यह मामला एक जनहित याचिका के जरिए हाईकोर्ट के सामने आया, जिसमें एआरटीआरएसी (ARTRAC) से राम बाजार (Ram Bazaar Shimla) तक सड़क पर कूड़ा जमा होने और गंदगी की समस्या उठाई गई।
याचिका में दोपहिया वाहनों की पार्किंग के लिए उचित नियम न होने की भी शिकायत की गई। याचिका के साथ दी गई तस्वीरों में सड़कों पर कूड़े के ढेर और बेतरतीब खड़े वाहनों के कारण पैदल चलने वालों की परेशानी साफ दिख रही थी।
कोर्ट ने देखा कि मॉल रोड के प्रतिबंधित हिस्से में भी लोग रॉक सी होटल से विलो बैंक तक वाहन खड़े कर रहे हैं। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ड्रॉप-ऑफ की अनुमति का मतलब यह नहीं कि लोग वहां गाड़ियां पार्क कर सकते हैं। इसके अलावा, शिल्ली चौक/शिमला क्लब से छोटा शिमला चौक तक की बंद सड़क पर भी बड़ी संख्या में पास जारी किए गए हैं, जिससे पैदल चलने वालों को मुश्किल हो रही है।
हाई कोर्ट ने नगर निगम पर भी नाराजगी जताई और कहा कि वह अपनी शक्तियों का सही इस्तेमाल नहीं कर रहा। कोर्ट ने नगर निगम को नोटिस जारी किया और इस मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर 2025 को तय की है।
उल्लेखनीय है कि शिमला की सैर और उसकी शांत सड़कें पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए हमेशा से खास रही हैं। लेकिन अवैध पार्किंग और कूड़े की समस्या ने इस खूबसूरती को फीका कर दिया है। कोर्ट का यह कदम शहर को उसकी पुरानी रौनक वापस दिलाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। अब देखना यह है कि प्रशासन और नगर निगम इस दिशा में क्या कदम उठाते हैं। यह मामला जनहित याचिका (CWPIL नंबर 85/2025) के तहत दायर किया गया है। कोर्ट ने इस मामले में 5 सितंबर 2025 को फैसला सुनाया था।
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