Himachal News: शिमला में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के मुख्यालय राजीव भवन में शुक्रवार, 22 अगस्त 2025 को जबरदस्त राजनीतिक हलचल देखने को मिली। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह के समर्थकों के बीच तीखी नारेबाजी ने पार्टी की गुटबाजी को फिर से उजागर कर दिया।
दरअसल, यह हंगामा उस समय शुरू हुआ, जब कांग्रेस ने अपने “वोट चोर, कुर्सी छोड़” अभियान की शुरुआत के लिए राजीव भवन में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया था। मंच पर मुख्यमंत्री सुक्खू, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, पार्टी प्रभारी रजनी पाटिल, सह-प्रभारी चेतन चौहान, उपमुख्यमंत्री, सभी मंत्री, विधायक और कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
कार्यक्रम शुरू होते ही माहौल गर्म हो गया। जैसे ही मुख्यमंत्री सुक्खू मंच पर बैठे, उनके समर्थकों ने जोर-शोर से उनके पक्ष में नारे लगाने शुरू कर दिए। कुछ ही देर बाद, जब लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह राजीव भवन पहुंचे, उनके समर्थकों ने भी जवाबी नारेबाजी शुरू कर दी। दोनों पक्षों के कार्यकर्ताओं ने करीब 10 मिनट तक अपने-अपने नेताओं के समर्थन में शक्ति प्रदर्शन किया।
इस दौरान स्थिति ऐसी हो गई कि मंच पर मौजूद वरिष्ठ नेता बार-बार माइक से कार्यकर्ताओं से शांति की अपील करते रहे, लेकिन नारेबाजी रुकने का नाम नहीं ले रही थी। एक तरफ सुक्खू समर्थक डटकर नारे लगा रहे थे, तो दूसरी तरफ विक्रमादित्य सिंह के समर्थक पूरे जोश में उनके पक्ष में नारेबाजी कर रहे थे।
हिमाचल में कांग्रेस के “वोट चोर, कुर्सी छोड़” अभियान से ज्यादा, गुटबाजी की चर्चा! pic.twitter.com/fnRGXY4awA
— Prajasatta (@prajasattanews) August 22, 2025
शीर्ष नेतृत्व के सामने खुली गुटबाजी
यह पूरा घटनाक्रम पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के सामने हुआ। प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल और कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह मंच पर मौजूद थीं, लेकिन नारेबाजी को शांत कराने की उनकी कोशिशें नाकाम रहीं। इस घटना ने हिमाचल कांग्रेस में लंबे समय से चली आ रही गुटबाजी को फिर से सामने ला दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह शक्ति प्रदर्शन पार्टी के लिए भविष्य में मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
“वोट चोर, कुर्सी छोड़” अभियान की शुरुआत
कांग्रेस ने इस कार्यक्रम के जरिए “वोट चोर, कुर्सी छोड़” अभियान शुरू किया, जिसका मकसद विपक्षी भाजपा सरकार पर हमला बोलना और जनता के बीच लोकतंत्र की रक्षा का संदेश देना था। लेकिन अभियान की शुरुआत से पहले ही यह कार्यक्रम सुक्खू और प्रतिभा सिंह-विक्रमादित्य खेमों के बीच शक्ति प्रदर्शन में बदल गया। इस अभियान की लॉन्चिंग में बड़े नेताओं की मौजूदगी के बावजूद, गुटबाजी ने एकजुटता के दावों पर पानी फेरना शुरू कर दिया।
हिमाचल कांग्रेस में गुटबाजी का पुराना इतिहास
हिमाचल कांग्रेस में गुटबाजी कोई नई बात नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समय से ही होली लॉज (वीरभद्र परिवार का गढ़) और सुक्खू खेमे के बीच तनातनी जगजाहिर रही है। पहले वीरभद्र सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे, और अब स्थिति उलट है सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री हैं और प्रतिभा सिंह प्रदेश अध्यक्ष।
माना जाता था कि वीरभद्र सिंह के निधन के बाद यह विवाद कम हो जाएगा, लेकिन ताजा घटनाक्रम ने साफ कर दिया कि संगठन पर नियंत्रण और नेतृत्व को लेकर दोनों खेमों के बीच खींचतान अभी भी जारी है। इस घटना ने कांग्रेस के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। एक तरफ पार्टी जनता के बीच एकजुटता का संदेश देना चाहती है, वहीं दूसरी तरफ इस तरह की गुटबाजी बार-बार उसके दावों को कमजोर कर रही है।
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