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Pong Dam Displaced: आखिर कब मिलेगा न्याय? 55 साल बाद भी अधूरी है पौंग बांध विस्थापितों के पुनर्वास की उम्मीदें..!

Pong Dam Displaced: आखिर कब मिलेगा न्याय? 55 साल बाद भी अधूरी है पौंग बांध विस्थापितों के पुनर्वास की उम्मीदें

Pong Dam Displaced: पुनर्वास का मतलब है दोबारा बसाना, आबाद करना। लेकिन पौंग बांध के हजारों विस्थापितों का पिछले 55 सालों में न तो पुनर्वास हो पाया है और न ही राजस्थान सरकार मौजूदा समय में पौंग बांध बनने के दौरान हुए समझौते के अनुसार विस्थापितों को जमीन आवंटन करने के लिए गंभीर दिखाई दे रही है।

फिर भी, पौंग बांध विस्थापितों को न सिर्फ उनका हक मिलेगा, बल्कि राजस्थान में ऐसी जगह पर जमीन आवंटित की जाएगी, जहां बस सुविधा, रेल सुविधा, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज और अन्य सभी सुविधाएं होंगी। ये शब्द सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद शर्मा ने मंगलवार को प्रदेश पौंग बांध विस्थापित समिति की विशेष बैठक में कहे।

उन्होंने कहा कि पौंग बांध विस्थापितों ने ऐसा कौन सा गुनाह किया है कि उन्हें आज भी पुनर्वास के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। विनोद शर्मा ने विस्थापितों को भरोसा दिलाया कि उन्हें पूरा विश्वास है कि 1 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट में पौंग बांध विस्थापितों की सामूहिक याचिका पर सुनवाई में 55 साल से न्याय की आस लगाए विस्थापितों के हक में शत-प्रतिशत फैसला आएगा।

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उन्होंने आगे कहा कि पिछले दो महीनों में राजस्थान सरकार ने समझौते के खिलाफ जल्दबाजी में द्वितीय चरण में जमीन आवंटन किया है। यह इस बात का सबूत है कि राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट में खुद को निर्दोष साबित करना चाहती है। लेकिन सच्चाई यह है कि बीते सालों में, जब विस्थापितों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख नहीं किया था, तब राजस्थान सरकार कहां थी?

प्रदेश पौंग बांध समिति के प्रधान हंस राज चौधरी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में केस चलने के दौरान राजस्थान सरकार ने जुलाई में जल्दबाजी में द्वितीय चरण में 203 और अगस्त में 108 जमीन आवंटन किए हैं। उनका कहना है कि इनमें से ज्यादातर आवंटन हंसूवाला और गमलेवाला जैसे स्थानों पर किए गए हैं, जिन्हें हाई पावर कमेटी और निरीक्षण टीम पहले ही खारिज कर चुकी है। खारिज किए गए मुरब्बों का दोबारा आवंटन करके राजस्थान सरकार विस्थापितों को फिर से गुमराह करने की कोशिश कर रही है।

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एमएल कौंडल ने बताया कि समिति जल्द ही हाई पावर कमेटी से शिकायत करेगी कि राजस्थान सरकार ने 2017 में हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष द्वारा मौके पर निरीक्षण के दौरान निरस्त किए गए 613 मुरब्बों में से ही जुलाई और अगस्त में आवंटन किया है। ये मुरब्बे आवंटन के लिए उपयुक्त नहीं थे। यह कदम विस्थापितों को धोखा देने जैसा है।

बैठक में मौजूद विस्थापितों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि पुनर्वास की तीसरी पीढ़ी तक को अब तक न्याय नहीं मिला। इससे बड़ा दुर्भाग्य उनके लिए और क्या हो सकता है?

इस मौके पर बैठक में वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद शर्मा, पौंग बांध समिति के प्रधान हंस राज चौधरी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एमएल कौंडल, उपाध्यक्ष विशंभर सिंह पगडोत्रा, महासचिव कुलदीप शर्मा, संजीव कुमार, अजय चौधरी, कुलभूषण शर्मा, अशोक कौंडल, मुल्ख राज, प्यारे लाल, रणधीर सिंह, प्रह्लाद सिंह सहित अन्य विस्थापित मौजूद रहे।

अनिल शर्मा पिछले लगभग 6 वर्षों से "प्रजासत्ता" के साथ पत्रकारिता में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वह कांगड़ा जिले के फतेहपुर क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों, स्थानीय खबरों, और लोगों की समस्याओं को लगातार प्रमुखता से उठाते रहते हैं।

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