Kangra News: पौंग बांध से छोड़ा गया पानी हिमाचल प्रदेश के मंड भोग्रवां गांव के लिए कहर बनकर टूटा है। ब्यास नदी का जलस्तर अचानक बढ़ने से गांव की उपजाऊ जमीनें पानी में समा गई हैं, और कई घर खतरे की जद में हैं। एक बहुमंजिली इमारत अब नदी की भेंट चढ़ने की कगार पर है, जिसे प्रशासन ने पहले ही खाली करवा लिया था। फिर भी, अपने घरों को पानी में डूबते देख ग्रामीणों का दिल टूट रहा है। यह दृश्य उनके लिए किसी दुखद सपने से कम नहीं।
मंड भोग्रवां के निवासियों के लिए यह समय पीड़ादायक है। आंसुओं भरी आंखों से एक ग्रामीण ने बताया, “सारी जिंदगी की कमाई इस घर में लगाई थी। बच्चों का भविष्य, शादी, सब यहीं था। अब सब कुछ पानी में बह रहा है।” ग्रामीणों का कहना है कि उनकी सालों की मेहनत और सपने इस बाढ़ में डूब गए हैं।
ग्रामीणों ने इस आपदा का ठीकरा अवैध खनन पर फोड़ा है। उनका आरोप है कि ब्यास नदी के किनारे खनन माफियाओं ने अनधिकृत रूप से पत्थरों की संरचनाएं (कैरेट) बनाई हैं, जिससे नदी का प्राकृतिक प्रवाह बिगड़ गया। नतीजतन, पानी अब खेतों और बस्तियों की ओर बह रहा है।
Kangra News: पौंग डैम के पानी ने मचाई तबाही आखिर कौन है इस नुकसान का जिम्मेदार?
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— Prajasatta (@prajasattanews) August 16, 2025
ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते खनन पर रोक लगाई गई होती, तो शायद यह नौबत न आती। उनका यह भी आरोप है कि खनन माफियाओं को कथित तौर पर कुछ अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते गांववासियों को यह त्रासदी झेलनी पड़ रही है।
ग्रामीणों का गुस्सा प्रशासन की निष्क्रियता पर भी फूट रहा है। कई परिवारों ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी मौके पर तो आए, लेकिन केवल निरीक्षण कर चले गए। न कोई राहत सामग्री मिली, न ही ठोस मदद। एक प्रभावित महिला ने दुखी मन से कहा, “न खाने को कुछ बचा, न रहने की जगह। अधिकारी बस आते हैं, देखते हैं और चले जाते हैं। हमें नहीं पता अब कहां जाएंगे।”
हालांकि, कांगड़ा के उपायुक्त हेमराज बैरवा ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर हर संभव मदद का वादा किया है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि ये वादे केवल कागजों तक सीमित हैं, और जमीनी हकीकत कुछ और है।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दिनों से पौंग बांध से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है, जिसके चलते ब्यास नदी उफान पर है। मंड भोग्रवां के अलावा रियाली, मंड घंडरां, मंड सनौर और मंड मियाणी जैसे गांव भी इसकी चपेट में हैं। कई घर पानी में डूब गए हैं, और कुछ गांव टापुओं में तब्दील हो गए हैं। खेतों में लगी फसलें पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं, जिससे किसानों की आजीविका पर गहरा संकट मंडरा रहा है।
वहीँ मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिसने ग्रामीणों की चिंता को और बढ़ा दिया है। 2023 की बाढ़ की यादें अभी भी ताजा हैं, जब पौंग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण कई परिवार बेघर हो गए थे। ग्रामीणों का कहना है कि अगर अवैध खनन पर सख्ती नहीं बरती गई और नदी का चैनलाइजेशन नहीं किया गया, तो भविष्य में ऐसी त्रासदियां बार-बार दोहराई जाएंगी।
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