Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

Chief Justice DY Chandrachud : सीजेआइ चंद्रचूड़ का कार्यकाल खत्म, अपने कार्यकाल में सुनाए ये ऐतिहासिक फैसले

Chief Justice DY Chandrachud : सीजेआइ चंद्रचूड़ का कार्यकाल खत्म, अपने कार्यकाल में सुनाए ये ऐतिहासिक फैसले

Chief Justice DY Chandrachud Retired: देश की सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल खत्म हो रहा है। शुक्रवार को अपने लास्ट वर्किंग डे पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर फैसला भी सुनाया और विश्वविद्यालय का माइनॉरिटी स्टेटस बरकरार रखा है। हालांकि चीफ जस्टिस ऑडीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud )10 नवंबर को रिटायर होने है।

इस अवसर पर उन्होंने अपना विदाई संदेश दिया। चीफ जस्टिस ने न्यायपालिका में अपने लंबे सफर के बारे में बताते हुए सभी से माफी मांगी। दरअसल, अपने संदेश में उन्होंने कहा कि अगर मैंने अनजाने में किसी को ठेस पहुंचाया हो तो मुझे माफ कर दीजिए, विदाई समारोह में वह भावुक भी दिखे।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मेरे जाने के बाद इस न्यायालय में कोई अंतर नहीं आने वाला है, क्योंकि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना जैसा स्थिर और गरिमामय व्यक्ति इस न्यायालय का कार्यभार संभालेगा। उन्होंने आगे कहा कि हम अदालत में किसी तीर्थयात्री के रूप में काम करने आते हैं। हम जो काम करते हैं, उससे मामले बन सकते हैं या बिगड़ भी सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि जस्टिस चंद्रचूड़ को साल 2016 में प्रमोट कर सर्वोच्च न्यायालय भेजा गया था। 8 नवंबर, 2022 को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ देश के चीफ जस्टिस बने थे। सुप्रीम कोर्ट में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान वो न केवल CJI बल्कि जस्टिस के तौर पर भी राजनीतिक विवादों को सुनने तथा उन पर फैसला देने से कभी नहीं कतराए।

इसे भी पढ़ें:  ‘लोकतंत्र बचाओ मशाल शांति मार्च’ निकाल रहे कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया, रावत बोले- ‘ये लोकतंत्र की हत्या है’

आइये अब एक नजर डालते हैं जस्टिस चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud Historical Decisions) के कुछ ऐसे फैसलों पर जो चर्चा में रहे।

हिंदुत्व से जुड़ा श्रीराम जन्मभूमि केस

श्रीराम जन्मभूमि केस किसी भी जज के लिए शायद इससे बड़ा केस और कोई नहीं हो सकता। लगभग 200 साल पुराना यह मुद्दा 1980 के दशक में एक हिंदुत्व की मजबूत पहचान बन गया, जिसका बीजेपी ने समर्थन किया। ऐसा माना जाता है कि जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने ही अयोध्या केस का फैसला लिखा था और इसी को लेकर अब वह विवाद में भी आ गए हैं।

जम्मू कश्मीर से जुड़ा आर्टिकल 370

CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने दिसंबर 2023 में अनुच्छेद 370 को रद्द करके जम्मू और कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीने जाने की स्थिति को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 370 केवल “अस्थाई” प्रावधान था तथा J&K “संविधान सभा” अस्थायी थी। साथ ही पीठ ने राज्य को J&K और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के फैसले को भी बरकरार रखा।

इलेक्टोरल बॉन्ड केस 

पूर्व की भाजपा सरकार के दौरान वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली ने साल 2018 के बजट में इलेक्टोरल बॉन्ड पेश किया था। उनका दावा था कि इससे देश में राजनीतिक फंडिंग में सुधार आएगा और इस बॉन्‍ड को शु‍रू किए जाने के लगभग सात साल बाद न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने इस चुनावी बॉन्ड स्‍कीम को “असंवैधानिक” बताया। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को माना कि चुनावी बॉन्ड ने कंपनियों के लिए गुप्त रूप से राजनीतिक चंदा देकर अपने अनुसार पॉलिसीज तैयार करवाने का लाभ प्राप्त करने की गुंजाइश पैदा की है।

इसे भी पढ़ें:  चीन के साथ तनाव के बीच भारत को मिले 5 और राफेल फाइटर जेट

दिल्ली बनाम केंद्र का मामला

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अगुआई में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने दिल्ली बनाम केंद्र सरकार के मामले में  अपने फैसले में कहा था कि केंद्र सरकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार को विधायी तथा कार्यकारी शक्तियों से वंचित नहीं कर सकती। इस ऐतिहासिक फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के दावों के खिलाफ फैसला सुनाते हुए प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार को नियंत्रण दिया था। यह फैलसा दिल्ली की जनता और सरकार के लिए ऐतहासिक था।

समान लिंग विवाह का अधिकार

चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए समान लिंग विवाह को कानूनी मान्यता दी। यह फैसला भारत में LGBTQ+ समुदाय के लिए एक बड़ी जीत थी। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि हैट्रोसेक्शुअल लोगों को जो वैवाहिक अधिकार मिलते हैं, वहीं अधिकार समलैंगिक लोगों को मिलने चाहिए. अगर समलैंगिक कपल को ये अधिकार नहीं मिलता है तो ये मौलिक अधिकार का हनन माना जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी राज्य और केंद्र सरकार ये तय करें कि समलैंगिक और क्वियर लोगों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव ना हो।

इसे भी पढ़ें:  उद्धव ने शिंदे को बताया चोर

उत्तर प्रदेश मदरसा केस

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियन को सही ठहराते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि हाईकोर्ट का निर्णय उचित नहीं था। सर्वोच्च अदालत से यूपी के मदरसा एक्ट को मिली हरी झंडी के बाद अब प्रदेश के 16 हजार से अधिक मान्यता प्राप्त मदरसे बिना बाधा के चलते रहेंगे।

सबरीमाला मंदिर मामला 

सीजेअई चंद्रचूड़ ने सबरीमाला मंदिर मामले में दिए फैसले को सही ठहराया था। चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा था कि धर्म महिलाओं को पूजा के अधिकार से वंचित रखने की वजह नहीं हो सकता। बता दें कि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि किसी भी उम्र की महिलाएं केरल के सबरीमाला अय्यप्पा मंदिर में जा सकती हैं।

YouTube video player
संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Join WhatsApp

Join Now