Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

Jaipur Literature Festival: राजीव शुक्ला बोले- 2004 भारत-पाक रिश्तों का गोल्डन पीरियड, मुंबई हमलों के बाद खराब हुए रिश्ते

[ad_1]

केजे श्रीवत्सन, जयपुरः जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला की नई किताब, स्कार्स ऑफ़ 1947: रियल पार्टीशन स्टोरीज़ का सेशन हुआ। इस सेशन में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही जगह के लोग बेहतरीन रिश्ता चाहते हैं लेकिन कुछ लोग यह नहीं चाहते जिसके चलते लगातार तनाव बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग उस घटना को पूरी तरह भूलना चाहते हैं लेकिन दोनों तरफ के ही कुछ लोग ऐसा नहीं होने दे रहे।

मुंबई हमलों के बाद बिगड़ी बात

राजीव शुक्ला ने भारत-पाकिस्तान रिश्तों के लिहाज से साल 2004 के वक्त को गोल्डन पीरियड बताया और कहा कि क्रिकेट की जबरदस्त शुरुआत हुई थी। उसके बाद आपसी मेल मिलाप के रास्ते भी खुल गए लेकिन मुंबई हमलों के बाद सारी बात बिगड़ गई। संबंधों के साथ व्यापारिक रिश्ते भी बिगड़ते चले गए। नफरत की खाई को हटाकर दोनों तरफ से माहौल बनाना होगा। रिश्तों को सुधारने के लिए सभी को प्रयास करना होगा। तभी विभाजन का दर्द कुछ हद तक कम हो पाएगा।

इसे भी पढ़ें:  डोडा स्टेडियम में फहराया 100 फुट ऊंचा तिरंगा

जनता से जनता का रिश्ता आज भी कायम

जनता से जनता का रिश्ता आज भी वहां पर बना है। लेकिन डिप्लोमेट स्तर और है। एक और घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा की किसी ने कहा था कि पाकिस्तान में जो चीज सबसे ज्यादा बनती है उसकी फैक्ट्री भारत में लगाने और पाकिस्तान को जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है, उस चीज का उत्पादन भारत में बढ़ाने से दोनों के बीच व्यापारिक रिश्ते सुधरने लगेंगे।

पाकिस्तान में अब भी शिया और सुन्नी में झगड़ा

बंटवारे के दौरान कंप्लीट ट्रांसफर जनसंख्या की सोच के सवाल पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के 90 फीसदी लोग तो मुस्लिम ही हैं, लेकिन अब भी शिया और सुन्नी के नाम पर वहां लोग झगड़ते हैं। ऐसे में यह कहना सही नहीं होगा कि वहां से सभी हिंदुओं को यहां लाने और यहां के सभी मुस्लिमों को वहां भेज देने से विभाजन की दुखान्तिका का पूरी तरह अंत हो जाता।

गौरी खान की दादी और शाहरुख की नानी की भावनाओं का किताब में जिक्र

मुलाक़ात के दौरान वह अपनी पुरानी यादें और कहानियाँ सुनाती थी क्योंकि मेरा अक्सर पाकिस्तान आना जाना लगा रहता था। उनकी बातों से “मैं जो महसूस कर सकता था वह यह था कि हालांकि वह दिल्ली में रहती थी, उसका दिल अभी भी लायलपुर में रहता था, लायलपुर से संबंधित कहानियां सुनाते समय वह सबसे ज्यादा खुश होती थी”। इसी तरह सुनील शेट्टी के हाथों से एक महिला को उन्होंने तिरंगा झंडा भी दिलवाया था और वह महिला भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के दौरान अक्सर उसे लहरा कर खुशी जाहिर करती थी यह उसके परिवार वाले आज भी गर्व से बताते हैं।

इसे भी पढ़ें:  ‘सिद्धू मूसेवाला जैसा होगा अंजाम…तू और सलमान फिक्स’, सांसद संजय राउत को लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने भेजा धमकी भरा मैसेज

किताब का उद्देश्य-युवा पीढ़ी को घटना के नतीजों से अवगत कराना है

पेंगुइन रेंडम हाउस की तरफ से प्रकाशित इस पुस्तक की कई और कहानियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब इसके 2-4 पन्नो को पढ़ने से ही लोग भावुक हो जाते हैं तो यह समझना मुश्किल नहीं है कि वे लोग किस दर्द से गुजर रहे होंगे जिन पर किसी दिन इसकी मार पड़ी थी। उन्होंने कहा कि किसी के जख्मों को हरा करने के लिए इस किताब को प्रकाशित नहीं करवाया गया बल्कि इसका मकसद आपसी सद्भाव बढ़ाकर युवा पीढ़ी को उस घटना के अब तक सामने आ रहे नतीजों के बारे में बताना है। यह समझना होगा की भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश तीन देश हैं लेकिन अलग होने के बाद भी पाकिस्तान के साथ वैसे अच्छे व्यापारी और सामाजिक रिश्ते नहीं है, जो बांग्लादेश लगातार बनाकर रखने की कोशिश करता है।

इसे भी पढ़ें:  डॉक्यूमेंट्री का भारत से लेकर ब्रिटेन तक हो रहा विरोध

रावलपिंडी में सब साथ रहते थे लेकिन चंद घंटाें में सब कुछ बर्बाद हो गया

राजीव शुक्ला के साथ भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी के रूप में काम कर चुके राजदूत नवदीप सूरी ने कहा कि इस पर लिखी किताब 80 सीसी लोगों की भावनाओं पर आधारित है जिन्होंने विभाजन का दर्द सहा है। युवा पीढ़ी को उस दर्द को समझना होगा कि इस तरह के हालात इस कदर तोड़ कर रख देते हैं। आजादी के लिए इतनी बड़ी कीमत उस वक्त चुकाई गई थी। रावलपिंडी में हिंदू, मुस्लिम और सिख सभी एक साथ रहते थे लेकिन चंद घंटों में उनका सब कुछ बर्बाद हो गया।

[ad_2]

Source link

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment