Stray Dog Crisis: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के हमलों को रोकने और उनकी नसबंदी के लिए दिए गए आदेशों का पालन न करने पर राज्य सरकारों पर सख्त नाराजगी जताई है। सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस लापरवाही से देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंच रहा है। कोर्ट ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि अगस्त में आदेश दिए गए थे, लेकिन दो महीने बीतने के बाद भी ज्यादातर राज्यों ने कोई कदम नहीं उठाया।
कोर्ट का सख्त रुख
कोर्ट ने कहा, “क्या आप लोग अखबार नहीं पढ़ते? दो महीने पहले आदेश जारी हुआ था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।” कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर देरी का कारण बताने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी हैरानी जताई कि पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर किसी भी राज्य ने जवाब नहीं दिया। दिल्ली में एमसीडी ने जवाब दिया, लेकिन दिल्ली सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
राजस्थान ने दिखाई सक्रियता
कोर्ट ने बताया कि राजस्थान एकमात्र राज्य है, जिसने इस दिशा में कदम उठाए हैं। वहां आवारा कुत्तों के लिए फीडिंग पॉइंट बनाए गए हैं और स्थानीय निकायों को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) और पशु कल्याण संगठनों के साथ मिलकर काम करने के निर्देश दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या पर तुरंत कार्रवाई जरूरी है। कोर्ट ने राज्यों को चेतावनी दी कि इस मामले में और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी राज्यों को जल्द जवाब दाखिल करने और ठोस कदम उठाने के लिए कहा गया है।
क्या है मामला?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को पकड़ने और उनकी नसबंदी करने के लिए 22 अगस्त को आदेश जारी किया था। इसके बावजूद कई राज्यों में स्थिति जस की तस है। कोर्ट ने उदाहरण देते हुए बताया कि महाराष्ट्र के पुणे में एक बच्चे पर कुत्तों ने हमला किया। भंडारा में भी एक बच्ची 20 कुत्तों का शिकार बनी। केरल में एक व्यक्ति पर तब हमला हुआ, जब वह आवारा कुत्तों पर नुक्कड़ नाटक कर रहा था। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक परिवार के तीन लोगों को कुत्तों ने काट लिया। तेलंगाना के वारंगल में भी हाल ही में ऐसा ही हादसा हुआ।












