TRAI & DoT : अब से आपके मोबाइल पर अज्ञात नंबर से कॉल आने पर सिर्फ नंबर ही नहीं, बल्कि कॉल करने वाले का असली नाम भी दिखाई देगा। यह नई सुविधा टेलीकॉम रेगुलेटर TRAI (ट्राई) और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) के फैसले के तहत लागू की जा रही है। इसका उद्देश्य धोखाधड़ी और स्कैम कॉल्स को रोकना है, ताकि उपभोक्ताओं को बेहतर सुरक्षा मिल सके।
इस नई सुविधा के अंतर्गत अब आपको किसी भी अज्ञात नंबर से कॉल आने पर यह जानकारी मिलेगी कि कॉल करने वाला कौन है, बिना किसी ऐप के। यानी अब आपको यह तय करने में आसानी होगी कि कॉल रिसीव करना चाहिए या नहीं। यह सुविधा अगले हफ्ते से शुरू हो जाएगी और यह सभी उपयोगकर्ताओं के लिए डिफॉल्ट होगी।
क्या फायदा होगा?
इस फैसले से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब स्पैम या फर्जी कॉल्स को पहचाना जा सकेगा, जिससे धोखाधड़ी और साइबर अपराधों में कमी आएगी। फिलहाल, यह सुविधा सिर्फ 4G और उससे नई तकनीक वाले नेटवर्क पर ही उपलब्ध होगी, क्योंकि 2G और 3G नेटवर्क पर बैंडविड्थ कम होने के कारण तकनीकी दिक्कतें आ सकती हैं।
कैसे काम करेगा यह सिस्टम?
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कॉल करने वाले का नाम वही होगा जो यूजर ने मोबाइल कनेक्शन लेते समय अपने आईडी प्रूफ में दिया था। अगर कोई यूजर इस सुविधा का इस्तेमाल नहीं करना चाहता, तो वह इसे डिएक्टिवेट भी कर सकेगा। यह कदम देशभर में धोखाधड़ी वाली कॉल्स और साइबर अपराधों जैसे डिजिटल अरेस्ट और वित्तीय घोटालों को रोकने के लिए उठाया गया है। इससे उपभोक्ता को पता होगा कि उसे कौन कॉल कर रहा है, जिससे वह फर्जी कॉल्स को पहचानने में सक्षम होगा।
क्या है पायलट प्रोजेक्ट?
यह सर्विस पहले पायलट प्रोजेक्ट के तहत 60 दिनों तक टेस्ट की जाएगी। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेटरों ने 4G नेटवर्क पर इस सेवा का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया है। अब यह सुविधा जल्द ही देशभर में लागू की जाएगी। इसके सफल परीक्षण के बाद, इसे पूरे देश में सभी यूजर्स के लिए उपलब्ध कर दिया जाएगा। टेलीकॉम कंपनियों को हर हफ्ते इसकी रिपोर्ट सरकार को देनी होगी, ताकि किसी भी तकनीकी समस्या का समाधान किया जा सके।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, DoT ने टेलीकॉम रेगुलेटर को अलग से बताया है कि ऑपरेटर्स ने 4G और नए नेटवर्क के लिए कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) सर्विस के ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। ऐसे में इसे फौरन रोलआउट करने का रास्ता साफ हो गया है। मनीकंट्रोल ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि सरकार ने ऑपरेटर्स को पायलट शुरू करने के लिए सात दिन का समय दिया है, जो लगभग 60 दिनों तक चलेगा। इसके सफल रहने के बाद पूरे देश में ये सर्विस लागू होगी। कंपनियों को हर हफ्ते इसकी रिपोर्ट सरकार को देनी होगी। रिपोर्ट के आधार पर सरकार इसमें आने वाली दिक्कतों को दूर करेगी।
हालांकि, पहले ट्राई ने सुझाव दिया था कि यह सेवा सिर्फ मांगने पर चालू होनी चाहिए। लेकिन DoT इस बात से सहमत नहीं था। इसके बाद दोनों की एकराय बनी और फैसला लिया गया। यह नाम वही होगा जो यूजर ने मोबाइल नंबर कनेक्शन लेते समय आईडी प्रूफ में दिया होगा। यह डिफाल्ट सुविधा होगी। अगर कोई यूजर यह सुविधा नहीं चाहता, तो वह इसे डिएक्टिवेट भी करा सकेगा। इस सर्विस के लिए टेलीकॉम कंपनियों ने मुंबई और हरियाणा सर्किल में पिछले साल ट्रायल किया था।












