Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

HP Natural Farming: हिमाचल में 2,22,893 किसानों ने प्राकृतिक खेती पद्धति को अपनाया, 38,437 हेक्टेयर भूमि पर हो रही प्राकृतिक खेती

HP Natural Farming: हिमाचल में 2,22,893 किसानों ने प्राकृतिक खेती पद्धति को अपनाया, 38,437 हेक्टेयर भूमि पर हो रही प्राकृतिक खेती

HP Natural Farming: राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास अब सफल साबित हो रहे हैं। वर्तमान में राज्य की 3,584 पंचायतों में, 2,22,893 से अधिक किसान 38,437 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक रूप से विभिन्न प्रकार की फसलें उगा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार प्राकृतिक पद्धति से तैयार उत्पादों के लिए देश में सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य भी दे रही है, जिसके परिणामस्वरूप किसानों की आमदनी में वृद्धि हो रही है।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने 3.06 लाख किसानों और बागवानों को प्राकृतिक खेती पद्धति का प्रशिक्षण दिया है। इसके अलावा सरकार ने वर्ष 2025-26 तक एक लाख नए किसानों को इस पहल से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। अब तक 88 विकास खंडों के 59,068 किसानों और बागवानों ने कृषि विभाग में पंजीकरण फार्म जमा करवा दिए हैं।

सरकार की इस पहल से अब उपभोक्ता रसायनमुक्त उत्पादों की ओर आकर्षित हो रहे हैं और बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बड़ी संख्या में किसान इस पद्धति को अपना रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को शीर्ष प्राथमिकता प्रदान कर मजबूती दे रही है।

इसे भी पढ़ें:  आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का फूटा गुस्सा, विधानसभा का किया घेराव

पिछले अढ़ाई वर्षों में किसानों के सशक्तिकरण और उनकी आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं जिनके परिणामस्वरूप आज उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है। हिमाचल प्रदेश की लगभग 90 प्रतिशत आबादी गांव में रहती है और कृषि उनकी आजीविका का मुख्य साधन है। प्रदेश सरकार की नीतियांे से अब पैसा पारदर्शी तरीके से सीधे ग्रामीणों के हाथ में पहुंच रहा है।

वर्तमान में राज्य सरकार प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई गई मक्की के लिए 40 रुपये प्रति किलोग्राम, गेहूं के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम, कच्ची हल्दी के लिए 90 रुपये प्रति किलोग्राम और पांगी क्षेत्र में उगाई गई जौ के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान कर रही है।

किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने प्राकृतिक खेती-आधारित सतत खाद्य प्रणाली शुरू की है, जिसके अंतर्गत राज्य सरकार और नाबार्ड से 50-50 प्रतिशत वित्तीय सहायता के साथ किसान उत्पादक कंपनियां स्थापित की जा रही हैं। अब तक, राज्य में सात किसान उत्पादक कंपनियां स्थापित की जा चुकी हैं।

इसे भी पढ़ें:  हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र बुधवार से शुरू, हंगामेदार रहने की संभावना

राज्य सरकार ‘हिम-भोग’ ब्रांड के तहत प्राकृतिक खेती से उगाए गए उत्पादों को बढ़ावा दे रही है ताकि उपभोक्ताओं को अत्यधिक पौष्टिक और रसायन-मुक्त उत्पाद उपलब्ध हो सकें। पिछले सीजन में, सरकार ने 10 जिलों के 1,509 किसानों से 399 मीट्रिक टन मक्की की खरीद की और उन्हें 1.40 करोड़ रुपये वितरित किए।

इस वर्ष, राज्य सरकार ने 10 जिलों से 2,123 क्विंटल गेहूं खरीदा है और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से किसानों को 1.31 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, छह जिलों में प्राकृतिक रूप से उगाई गई 127.2 क्विंटल कच्ची हल्दी की खरीद के लिए किसानों को 11.44 लाख रुपये का भुगतान किया गया है।

प्राकृतिक उत्पादों की बिक्री में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने एक अभिनव स्व-प्रमाणन प्रणाली सर्टिफाइड इवेल्यूवेशन टूल फॉर एग्रीकल्चर रिसोर्स एनालिसिस नेचुरल फार्मिंग (सीईटीएआरए-एनएफ) शुरू की है, जिसके तहत 1,96,892 किसानों को पहले ही प्रमाणित किया जा चुका है।

इसे भी पढ़ें:  कोरोना के चलते हिमाचल में सेवाविस्तार पा रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों को नहीं मिलेगा एक्सटेंशन,इसी माह होंगे रिटायर

इन पहलों के साथ हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती में एक राष्ट्रीय मॉडल के रूप में उभर रहा है। प्रदेश की प्राकृतिक खेती मॉडल सेे देश भर के कृषि वैज्ञानिक, शोधकर्ता, किसान और अधिकारी प्रेरित हो रहे हैं और इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए राज्य का दौरा कर रहे हैं।

स्वाति सिंह वर्तमान में प्रजासत्ता मीडिया संस्थान में बतौर पत्रकार अपनी सेवाएं दे रही है। इससे पहले भी कई मीडिया संस्थानों के साथ पत्रकारिता कर चुकी है।

Join WhatsApp

Join Now