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उपलब्धि: गिरिपार क्षेत्र का गोल्डमेडलिस्ट बेटा बना असिस्टेंट प्रोफेसर

गिरिपार क्षेत्र का गोल्डमेडलिस्ट बेटा बना असिस्टेंट प्रोफेसर

सिरमौर।
गिरिपार क्षेत्र के प्रवेश द्वार के साथ लगते मानल गाँव का रहने वाला नीता राम भारद्वाज सुपुत्र श्री लायक राम शर्मा व मलको देवी का चयन बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए हुआ । नीता राम भारद्वाज की प्रारंभिक शिक्षा रा.प्रा. पाठशाला खुईनल, और रा.मा.पा. मानल से हुई। दसवीं की परीक्षा रा.व.मा.वि. सतौन से उत्तीर्ण की । संस्कृत विषय में अत्यधिक रुचि होने के कारण विशिष्ट शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । प्राक शास्त्री में प्रदेश भर में प्रथम आने पर इन्हें तत्कालीन वित्तमंत्री तथा बाद में राष्ट्रपति रहे श्री प्रणव मुखर्जी ने दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेल्ड से सम्मानित किया।

इन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एम.ए . और एम.फिल् संस्कृत विषय में तथा बीएड भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । एम ए और एमफिल मे इन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त किया । वर्ष 2014 में शास्त्री कमीशन में प्रदेश भर मे प्रथम स्थान प्राप्त किया , और लाहौलस्पीति के लिए चयन हुआ था। उसके बाद दूसरे शास्त्री कमीशन में टॉप -10 में जगह बनाई ,और इनका चयन जिला सिरमौर में शास्त्री अध्यापक के पद के लिए हुआ । तब से लेकर आज तक राजकीय माध्यमिक विद्यालय मानल में शास्त्री अध्यापक के रुप में सेवाएं दे रहे हैं । इसके बाद पुनः तैयारियां करते रहे और वर्ष 2015 में नेट और सेट की परीक्षा उत्तीर्ण की । यह इनका पाचवाँ साक्षात्कार था ।

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इससे पूर्व विद्यालय संवर्ग के तीन साक्षात्कारों में भाग लिया , और महाविद्यालय संवर्ग का यह दूसरा साक्षात्कार था। इनके माता पिता अनपढ हैं। पिता जी ने बच्चों को पढाने के लिए लगभग पंद्रह वर्षों तक पत्थर की खदानों में मजदूरी की । तथा पुश्तैनी खेती बाडी का काम करते रहे । स्कूली दिनों में पढाई के साथ साथ नीता राम भारद्वाज दूध बेचने का कार्य भी करते थे। शिक्षण के साथ – साथ आप समाज सेवा के कार्य भी करते रहते हैं। विगत वर्षों में राजबन पूलिस और उमंग फाऊंडेशन के सहयोग से आपने तीन मनोरोगियों को रेसक्यू करवाया तथा एक मनोरोगी को उमंग फाऊंडेशन के सहयोग से उनके परिजनों से मिलवाने का कार्य किया ।

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पठन पाठन के साथ शोध कार्य में अभिरुचि होने के कारण इन्होंने अभी तक आनलाईन तथा आफलाइन लगभग 25 राष्ट्रीय /अंतरराष्ट्रीय स्तर की शोध संगोष्ठियों / कार्यशालाओं में भाग लिया है तथा 9 शोध पत्रों का वाचन किया है। साथ ही साथ इनके अनेक पत्र – पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित हुए हैं। श्री नर्मदा प्रकाशन ने वर्ष 2020 में आपको “सृजन शिरोमणि साहित्य सम्मान” तथा “सुमित्रानंदन पंत साहित्य सम्मान” प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया । वर्तमान में आप हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला से संस्कृत विषय में पीएचडी की पढाई कर रहे हैं। आपका शोध कार्य गिरपार क्षेत्र से संबंधित रहने वाला है।

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इन्होंने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने परिवार व गुरुजनों को दिया है। सदैव परिवारजनों और गुरुजनों का सहयोग व समर्थन मिलता रहा। पूरे परिवार और समूचे क्षेत्र में खुशी का वातावरण बना हुआ है।

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