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Tenant Film review: महिलाओं के नजरिए को दिखाती है शमिता शेट्टी की फिल्म, यहां पढ़ें पूरा रिव्यू

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अश्विनी कुमार: एक कम उम्र के लड़के का जो अपनी से बड़ी उम्र की लड़की के प्यार में पड़ जाने की कहानी को हिंदी फिल्मों में पहले भी खूब भुनाया गया है, क्योंकि इसमें सिडक्शन, बोल्ड और टीनेज फैंटेसी की गुंजाइश बहुत होती है। लेकिन शमिता शेट्टी की ‘टैनंट’, उस जोन में बहुत दूर रहकर एक नई लकीर खींचती दिखती है।

बेहद शानदार है फिल्म की कहानी

‘टैनंट’, बहुत तामझाम वाली फिल्म नहीं है, जिसमें बड़े सेट्स हो, गाने हों… बल्कि राइटर-डायरेक्टर सुश्रुत जैन ने इस फिल्म को ऐसा बनाया है, जो आपको एक नया पर्सपेक्टिव देती है।

बिना ज्यादा वकालत किए या भारी-भरकम डायलॉग्स और बोल्ड सीन्स के टेनेंट यानी किराएदार आपको समझाती चली जाती है कि एक मॉर्डन, ग्लैमरस मॉडल के स्टाइल और कपड़े देखकर उसे जज करने वाली सोसायटी, खुद में कितनी हिपोक्रेट होती है, जो अपनी शख्सियत पर कोई और नकाब लगाकर चलती है।

‘टैनंट’ मिडिल क्लास हाउसिंग सोसायटी की कहानी

‘टैनंट’ की कहानी एक मिडिल क्लास हाउसिंग सोसायटी की कहानी है, जहां अपनी-अपनी जिंदगी से बोर हुए लोग, दूसरों की जिंदगी में दखलंदाजी करने के मौके तलाशते हैं और उसे सोसायटी का रूल बताते हैं।

इस सोसायटी में हर उम्र के लोग हैं, थोड़े उम्र दराज़, जो सब कुछ देखकर आंखें मूंदे रहते हैं, कुछ अधेड़, जो सोसायटी मीटिंग्स के बहाने दूसरों की खिड़कियों से झांककर, किसने क्या पहना, और उसका कितना दिख रहा था, जैसे कमेंट पास करते हैं।

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तीसरे वो, जो अपने आपको सोसायटी के सही-गलत का हिसाब रखने वाले ठेकेदार समझते हैं। ‘टैनंट’ की कहानी में इस मिडिल क्लास सोसायटी में अपने-अपने पतियों की अंटेशन पाने के लिए हर जुगत लगाती बीवियां भी हैं, जिन्हे पड़ोस के घर में क्या हो रहा है सब पता होता है।

महिला को लेकर नजरिया 

इस मिडिल क्लास सोसासटी में, एक मॉडल टर्न पेंटर, स्टाइलिश ऐट सिंगल लड़की, मीरा आती है, तो पूरी हाउसिंग सोसायटी यानि गार्ड से लेकर, प्रेसीडेंट तक… मम्मियों से लेकर सोसायटी के टीनेज बच्चों तक उसके कैरेक्टर का पोस्टमार्टम करने में जुट जाते हैं।

मीरा अपने घर में क्या कपड़े पहनती है, वो सिगरेट क्यों पीती है, वो कौन से ब्रैंड की शराब पीती है, कितने लड़कों के साथ उसके रिश्ते हैं।

दोस्त की तरह ही पेश आती है मीरा

इन निगाहों और सवालों के बीच सोसायटी के 13 साल के बच्चे भरत की मीरा से दोस्ती हो जाती है। भरत मीरा की ओर खिंचता रहता है और मीरा उससे एक प्यारे बच्चे और दोस्त की तरह ही पेश आती है। मीरा के सामान की अनपैकिंग से लेकर, फन आउटिंग तक एक अनकहा सा रिश्ता होता है, जिसमें एक दूसरे को समझना है।

‘she just wants to be noticed’

इस बीच मीरा की एक और सामने आती है, जो भरत के मन में भूचाल ला देती है। मीरा की बीती ज़िंदगी का तूफ़ान, उसके एक्स ब्वॉयफ्रैंड के साथ री-बॉडिंग सब कुछ भरत के सामने हो रहा है। दूसरी ओर सोसायटी के हर घर के अंदर की बेचैनियां, उनकी कहानियां भी पैरेलल चल रही है।

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भरत की मां, जो सीआईडी के दया की फैन हैं, वो दया के साथ डिनर कॉन्टेंस्ट में हिस्सा लेती है, तो भरत अपना पापा से कहता है कि ‘आप कुछ करते क्यों नहीं, उन्हे रोकते क्यों नहीं?’ से लेकर मीरा के समझाने के बाद, भरत का अपने पापा को कहना ‘she just wants to be noticed’ तक जैसे नासमझी से समझ तक की दूरी तय करने जैसा है।

भरत के दोस्तों का सोसायटी में ग्रुप भी है

सोसायटी में भरत के दोस्तों का एक ग्रुप भी है, जिसमें पप्पू जैसा साथ देने वाला दोस्त भी है और रॉकी जैसा एक बुली लड़का भी, जो कमजोर बच्चों को धमकाता और मीरा के पास तक ना पहुंच पाने की बेबसी में उसका वीडियो सोसायटी के ग्रुप में शेयर कर देता है।

‘टैनंट’ आईना दिखाती है

‘टैनंट’, यूं तो बहुत रियलिस्टिक है, लेकिन कहीं-कहीं ये थोड़ा फिसलती है। जैसे, मीरा के दोस्तों के बीच की पार्टी में भरत का आना और 13 साल के बच्चे का ड्रिंक करना, उस पर किसी का ध्यान तक ना जाना। भरत की मौजूदगी में मीरा के ब्वॉयफ्रैंड के साथ क्लोज मोमेंट्स, थोड़ा टू मच लगता है, मगर खलता नहीं है। क्लामेक्स में बिना-बहुत कुछ कहे, ‘टैनंट’ हमें आईना दिखा जाती है।

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नहीं भटकी टेनेंट की कहानी

राइटर-डायरेक्टर सुश्रुत जैन ने कहानी और डायरेक्शन के तौर पर टेनेंट को बहकने नहीं दिया है… दिशा और रफ्तार दी है। मीरा के किरदार में शमिता शेट्टी की ये बेहद मैच्योर और सधी हुई और उनकी अब तक की सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस हैं। हादसे से भागती, खुद में खोई एक ऐसी लड़की, जो अपने मॉर्डन आउटलुक को शर्मिंदा नहीं है, वो अपनी ज़िंदगी-अपना पैशन फॉलो करना चाहती है।

भरत के किरदार में रुद्राक्ष ने फिल्म में डाली जान

भरत के किरदार में रुद्राक्ष ने जैसे जान डाल दी है। सोसायटी प्रेसीडेंट के किरदार में स्वानंद किरकिरे कमाल हैं, उनसे आपको नफरत होगी। भरत की मां के किरदार में दिव्या जगदाले और प्रेसीडेट मिश्रा जी की वाइफ के किदार में शीबा चढ्ढा कमाल लगे हैं।

टैनंट को 3.5 स्टार

अतुल श्रीवास्तव ने बहुत कम डायलॉग्स के साथ अपना असर छोड़ा है। रॉकी के किरदार में हर्ष मायर का काम भी कमाल का है। टैनंट एक खूबसूरत फिल्म है। पठान के तूफान और रीमेक के शहजादा के बीच रिलीज हुई इस फिल्म को रियलिटी की डोज के लिए देखना बनता, टैनंट को 3.5 स्टार।

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