Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

Sheikh Hasina News: शेख हसीना के देश छोड़ने से भारत-बांग्लादेश के रिश्ते पर क्या पड़ेगा असर?

Sheikh Hasina News: शेख हसीना के देश छोड़ने से भारत-बांग्लादेश के रिश्ते पर क्या पड़ेगा असर?

Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina News: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपना देश छोड़कर फिलहाल भारत में हैं और ऐसी खबरें हैं कि वह यहां से लंदन जा सकती हैं। शेख हसीना (Sheikh Hasina) के इस्‍तीफे के बाद बांग्‍लादेश की सेना (Bangladesh Army) ने अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर सकते हैं।

बांग्‍लादेश का घटनाक्रम भारत के लिए बहुत अहम है। भारत के आसपास कई पड़ोसी देश राजनीतिक और आर्थिक तौर पर अस्थिर हैं और इसका असर भारत पर भी पड़ता है। भारत और बांग्लादेश के न सिर्फ कूटनीतिक बल्कि व्यापारिक रिश्ते भी काफी मजबूत हैं। ऐसे में शेख हसीना का इस तरह चले जाना दोनों देशों के संबंधों के लिए कई सवाल खड़े कर रहा है।

पडोसी देशों जैसे पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के साथ बढ़ती कड़वाहट के बीच बांग्लादेश को भारत एक विश्वसनीय मित्र की तरह देखने लगा था। यही कारण है कि बांग्लादेश के साथ सीमा विवाद को समाप्त कर दिया गया और उसके साथ व्यापार को बड़े स्तर पर बढ़ाया गया।

इसे भी पढ़ें:  Aaj Ki Taza Khabar LIVE: : संसद से चुनाव आयोग कार्यालय तक मार्च करेगा इंडिया गठबंधन, चुनाव आयोग ने बातचीत के लिए जयराम रमेश को बुलाया, पढ़े अन्य बड़ी खबरें...!

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बांग्लादेश में हुए इस तख्ता पलट के पीछे पाकिस्तान और चीन का हाथ है। लम्बे समय से चीन भी बांग्लादेश को अपने जाल में फंसाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। अब शेख हसीना के जाने के बाद नई सरकार की प्राथमिकता तय करेगी कि आगे भारत के साथ कैसे संबंध रहेंगे?

शेख हसीना की सरकार के पतन, बीएनपी और इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी की बढ़ती ताक भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि इससे बांग्लादेश में चीन का प्रभाव बढ़ेगा, जिसकी चीन लंबे समय से कोशिश करता रहा है। इससे पहले जब बांग्लादेश में बीएनपी की सरकार थी, तो बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाके आतंकियों के गढ़ बन गए थे।

बांग्लादेश भारत का पड़ोसी राष्ट्र है। पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम सहित उत्तर पूर्वी राज्यों की लगभग 4096 किलोमीटर सीमाएं बांग्लादेश और भारत को जोड़ती हैं। ऐसे में बांग्लादेश में घट रही घटनाओं को भारत और बांग्लादेश से सटे राज्यों पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। विशेषकर बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल की बोलचाल, भाषा, संस्कृति, खान पान और वेशभूषा सभी लगभग समान हैं। वाही भारत के विरोधी देश भी इस समय बांग्लादेश का फायदा उठाने की फ़िराक में है।

इसे भी पढ़ें:  ओडिशा के सबसे बड़े कफ सिरप रैकेट का भंडाफोड़

बांग्लादेश फिलहाल दक्षिण एशिया में भारत के सबसे बड़े व्यापार भागीदार के रूप में उभरा है। भारत भी बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। ऐसे में शेख हसीना का इस तरह से चले जाना भारत के लिए भी एक झटके की तरह है। पड़ोसी देश के घटनाक्रमों का द्विपक्षीय व्यापार पर असर पड़ेगा।

भारत बांग्लादेश को कपास, मशीनरी और खाद्य उत्पादों सहित कई तरह के सामान निर्यात करता है, जबकि जूट और मछली जैसे सामान आयात करता है। मौजूदा हालातों को देखते हुए आपूर्ति में व्यवधान इन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है और सीमा बंद होने या सुरक्षा बढ़ाने वाले किसी भी संकट से माल का प्रवाह बाधित हो सकता है। दोनों देशोंके बीच रेलसेवा भी चलती है। इस विरोध के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच सभी रेल सेवाएं अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई हैं।

हालांकि अस्थाई रूप से सही शेख हसीना को भारत में शरण देने से भारत बांग्लादेश के इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतों के निशाने पर होगा। अगले कुछ दिनों में यह देखना अहम होगा कि बांग्लादेश में गठित अंतरिम सरकार का भारत के प्रति रवैया कैसा रहता है और उसकी नीति क्या रहती है?

इसे भी पढ़ें:  मुंबई में होने वाली INDIA गठबंधन की बैठक में शामिल होंगे सीएम अरविंद केजरीवाल

बता दें कि बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के बीच शेख हसीना ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हालात बिगड़ता देख उन्होंने देश छोड़ दिया और भारत पहुंचीं। उनका विमान दिल्ली के पास गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरा। एनएसए अजीत डोभाल ने उनसे मुलाकात की

Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina News| bangladesh protest reason bangladesh crisis | why bangladesh protest |bangladesh stock market |bangladesh issue, bangladesh prime minister sheikh hasina |, sheikh hasina resignation

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Join WhatsApp

Join Now

Comments are closed.