Himachal News: हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन (एचपीपीसीएल) के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मृत्यु ने हिमाचल पुलिस और सुक्खू सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। शिमला के एसपी संजीव गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीजीपी और उनके कार्यालय पर सनसनीखेज आरोप लगाए, जिसने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया।
यह मामला अब पुलिस बनाम पुलिस की जंग बन चुका है, जिसमें सत्य और न्याय की लड़ाई सवालों के घेरे में है। यह प्रकरण न केवल हिमाचल पुलिस की आंतरिक खींचतान को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि क्या ‘व्यवस्था परिवर्तन’ के दावे करने वाली सुक्खू सरकार के तहत व्यवस्था, अब अव्यवस्था में बदल रही है।
दरअसल, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एसपी संजीव गांधी ने बताया कि 10 मार्च, 2025 को शिमला जिला पुलिस को सूचना मिली कि विमल नेगी लापता हैं। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई शुरू की और परिवार के सहयोग से सभी संभावित स्थानों पर तलाश की। जांच में पता चला कि विमल नेगी आखिरी बार घुमारवीं बस स्टैंड पर देखे गए थे। इसके बाद, 15 मार्च को हिमाचल प्रदेश पुलिस महानिदेशक ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया, जिसका नेतृत्व एडीजीपी सीआईडी को सौंपा गया।
इसके बाद 18 मार्च को विमल नेगी का शव बिलासपुर की गोविंद सागर झील में मिला। एसपी गांधी ने दावा किया कि उनकी टीम ने 40-45 दिनों तक गहन जांच की, जिसमें सभी साक्ष्य एकत्र किए गए। उन्होंने कहा, “हमने सत्यता और कानून के दृष्टिगत एक एकीकृत जांच की, जिसमें यह पता लगाने का प्रयास किया गया कि विमल नेगी की मृत्यु रहस्यमयी परिस्थितियों में कैसे हुई।”
एसपी संजीव गांधी ने खुलासा किया कि, उनकी जांच में यह संकेत मिला कि विमल नेगी के साथ “अनुचित और असामान्य व्यवहार” हुआ, जो उन्हें आत्महत्या का कदम उठाने के लिए प्रेरित कर सकता था। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी टीम हत्या और अन्य अपराधों की संभावनाओं की भी जांच कर रही थी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस का सबसे सनसनीखेज खुलासा तब हुआ जब एसपी गांधी ने डीजीपी अतुल वर्मा और उनके कार्यालय पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि डीजीपी ने हाईकोर्ट में एक “गैर-जिम्मेदाराना और भ्रामक” शपथ पत्र दायर किया, जिसका उद्देश्य जांच को प्रभावित करना था।
इसके अलावा, गांधी ने सीआईडी की एक गुप्त चिट्ठी के लीक होने का मामला उठाया, जिसमें डीजीपी के निजी स्टाफ की संलिप्तता थी। उन्होंने कहा, सीआईडी ने एक जांच की थी। जांच के बाद उनकी एक गोपनीय चिट्ठी को कार्यालय से चोरी कर लीक कर दिया गया था। इस मामले में एक एफआईआर दर्ज की गई है।
उन्होंने खुलासा किया कि इस मामले में “सीआईडी की जांच को बाधित करने के लिए डीजीपी ने कई प्रयास किए। यह एक गंभीर मामला है, और इसकी जांच चल रही है।” उन्होंने कहा कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि इसमें हमारे पुलिस महानिदेशक का निजी स्टाफ संलिप्त है।
उन्होंने बताया कि जिला शिमला पुलिस को पुलिस महानिदेशक के आचरण से जुड़ी कई गंभीर शिकायतें मिली हैं। हाल ही में एक शिकायत में आरोप है कि जब वे सीआईडी में डीजी थे, तब उन्होंने विनय अग्रवाल से जुड़ी रिपोर्ट पर जूनियर अफसरों पर दबाव डालकर तथ्य विकृत किए और अदालत को गुमराह किया।
डीजीपी ने विनय अग्रवाल नामक व्यक्ति के मामले में जूनियर अधिकारियों पर दबाव डालकर एक झूठी रिपोर्ट तैयार की, जिससे कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की गई। इस मामले में एफआईआर दर्ज है और जांच जारी है। मैंने इस बारे में एसीएस होम और एडवोकेट जनरल को पहले ही सूचित कर दिया था।
इसके अलावा ड्रग पेडलिंग के खिलाफ चलाए गए बड़े अभियान के दौरान यह सामने आया कि संजय भूरिया गैंग में उनके स्टाफ का एक सदस्य संलिप्त पाया गया। इस संबंध में हम पिछले दो महीनों से अदालत में फर्दर इन्वेस्टिगेशन की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब डीजीपी का कार्यालय ऐसे लोगों से संचालित हो रहा हो, तो एक पुलिस अधीक्षक का धर्म है कि जनता को सच्चाई से अवगत कराए और ऐसी गंभीर जांच को संदिग्ध प्रभाव से बचाए।
साल 2023 में शिमला के मिडिल बाजार में हुए हिमाचल रसोई गैस ब्लास्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि डीजीपी ने इसे आतंकी घटना बताने के लिए एनएसजी को बुलाया और आरडीएक्स की मौजूदगी का दावा किया। बाद में जांच में यह साबित हुआ कि यह कोई आतंकी घटना नहीं, बल्कि एक साधारण गैस लीक था।
गांधी ने इसे “साक्ष्य गढ़ने की साजिश” करार दिया और कहा कि डीजीपी ने उनके खिलाफ चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखकर शिमला पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया।

इसके बाद एसपी गांधी ने 2021-22 की पुलिस भर्ती में हुई अनियमितताओं का भी खुलासा किया। उन्होंने कहा ,कि वे उस कमेटी के सदस्य थे, जिसने भर्ती प्रक्रिया की निगरानी की थी। उन्होंने बताया, “जब मैंने भर्ती में गंभीर अनियमितताएँ देखीं, तो मैंने एक असहमति नोट (डिसेंटिंग नोट) दर्ज किया। बाद में यह साबित हुआ कि भर्ती में बड़ी धांधली हुई थी, जिसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई।” उन्होंने दावा किया कि इस नोट के कारण पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनके खिलाफ रंजिश रखी, जो आज तक जारी है।
रामकिशन मिशन मामले में सवाल पर एसपी गांधी ने कहा कि उन पर तन्मयमानंद स्वामी से पूछताछ न करने का दबाव डाला गया। उन्होंने बताया कि चीफ सेक्रेटरी ने उन्हें अपने कार्यालय में बुलाकर इस मामले में जांच को प्रभावित करने की कोशिश की। गांधी ने कहा, “मैंने दबाव में नहीं झुकने का फैसला किया, क्योंकि मेरी प्रोफेशनल ईमानदारी और निष्ठा मेरे लिए सर्वोपरि है।” उन्होंने हाईकोर्ट में इस मामले में एक शपथ पत्र दायर किया, जिसमें डिप्टी कमिश्नर के आदेशों पर भी सवाल उठाए।
वहीँ 2024 में हुए राज्यसभा चुनाव में विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला भी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठा। गांधी ने बताया कि बालूगंज थाने में दर्ज इस मामले की जांच में पता चला कि एक राजनीतिक पार्टी ने अपराधिक साजिश रची थी। जांच में हेलीकॉप्टरों के दुरुपयोग और फार्मा कंपनियों से फंडिंग जैसे तथ्य सामने आए। उन्होंने कहा, “इस जांच में शामिल अभियुक्त हमें धमकी दे रहे हैं कि वे हमें फंसाएंगे।”
उन्होंने विशेष रूप से विधायक सुधीर शर्मा का नाम लिया, जिन पर उन्होंने हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग का दुरुपयोग करने और उनकी प्रोफेशनल ईमानदारी पर सवाल उठाने का आरोप लगाया। गांधी ने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट और कॉपीराइट उल्लंघन की कार्रवाई की मांग की गई है।
वहीँ गाँधी में कारोबारी निशांत शर्मा, से जुड़े मामले में कहा कि मैंने तत्कालीन पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू के विरुद्ध बिना भय और पक्षपात के हाई कोर्ट में एफिडेविट दायर किया था। कोर्ट ने मेरे द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को सराहा था। हालांकि, इस दौरान कई घटनाएं ऐसी हुईं जिन्हें मैं उचित समय पर सार्वजनिक करूंगा , जैसे कि पुलिस मुख्यालय और राजनीतिक गठजोड़ द्वारा की गई साजिशें और जांच को प्रभावित करने के प्रयास।
उन्होंने कहा कि मैंने 25-26 वर्षों का ईमानदार और समर्पित पुलिस करियर जिया है। यदि कोई मेरी प्रोफेशनल ईमानदारी का अपमान करेगा, तो मैं पद छोड़ना पसंद करूंगा, लेकिन अपमान सहन नहीं करूंगा। इसी कारण हमारी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने यह निर्णय लिया है कि हम इस पूरे मामले को दोबारा अदालत में ले जाएंगे।
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