HP News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अनुबंध कर्मचारियों को नियमितीकरण के वास्तविक लाभ देने का महत्वपूर्ण आदेश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को 2016 से सभी लाभ दिए जाएं, क्योंकि उन्होंने 9,600 घंटे की सेवा पूरी कर ली थी और नियमित अनुबंध के पात्र थे। यह फैसला न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों को चार हफ्तों में लाभ दिए जाएं। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि 2016 में उन्होंने 9,600 घंटे की सेवा पूरी की, लेकिन उनकी सेवाएं नियमित नहीं की गईं। 2022 में केवल नाममात्र लाभ दिए गए, जो नियमितीकरण के नहीं थे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि देरी प्रशासन की निष्क्रियता के कारण हुई, कर्मचारियों की कोई गलती नहीं थी।
यह मामला कुलदीप कुमार और अन्य कर्मचारियों से जुड़ा है, जिन्होंने 2010-11 में तकनीकी शिक्षा विभाग में स्वीपर और चौकीदार के रूप में काम शुरू किया था। वे इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट कमेटी के तहत थे। 2015 की सरकारी अधिसूचना के अनुसार, 7 साल या 9,600 घंटे की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को नियमित अनुबंध पर लिया जाना था। आरटीआई से पता चला कि 2016-17 में 137 पद खाली थे, फिर भी कर्मचारियों को समायोजित नहीं किया गया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
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