अनिल शर्मा | फतेहपुर
Kangra News: जिला कांगड़ा की विधानसभा फतेहपुर के अधीन पड़ते मंड क्षेत्र में प्रदेश की सबसे बड़ी परियोजना शाहनहर परियोजना के नीचे से अबैध खनन माफिया द्वारा बार-बार खोला जा रहा रास्ता अब कोर्ट के आदेशों के बाद जल शक्ति विभाग ने पक्की आर.सी.सी. की दीवार लगाकर बंद करना शुरू कर दिया है। जिसकी जानकारी फतेहपुर के विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष भवानी सिंह पठानिया ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर फोटो शेयर करते हुए दी है।
भवानी पठानिया ने जानकारी देते हुए लिखा है कि शाह नहर के नीचे से चोर रास्ता, जिसे खनन माफिया इस्तेमाल करते थे, अब पक्के तौर पर पैरेंट डिपार्टमेंट (जलशक्ति विभाग) द्वारा बंद कर दिया है। अब अगर इस रास्ते को कोई खोलने की कोशिश करेगा, तो उस पर विभिन्न आपराधिक धाराओं में कार्यवाही की जा सकती है। मेरी लोकल पंचायत निवासियों से अपील है, अपनी ज़मीन पर पैसे लेकर खनन न होने दें, कहीं आप अगली कानूनी कार्यवाही के चपेट में न आ जाएं।
उन्होंने उन लोगों को भी चेतावनी दी है जो पैसे के लालच में अपनी जमीन पर खनन करवाते हैं और लोगों की जिंदगियों से खेलते हुए पूरे गांव को खतरे में डालते हैं। वो भी सावधान हो जाएं, उन पर भी कार्यवाही हो सकती है। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कांगड़ा जिले के फतेहपुर और इंदौरा विधानसभा की पंजाब सीमा पर निचले मंड क्षेत्र में अवैध खनन से शाह नहर और जमीनों को हो रहे नुकसान पर सख्त रुख अपनाया था।
न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने शाह नहर प्रोजेक्ट प्रभाग संख्या-1 संसारपुर टैरेस में कार्यरत अधिशासी अभियंता (एक्सईएन) को जिले से हटाकर किसी अन्य जिले में स्थानांतरित करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने जल शक्ति विभाग से आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट भी मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी। अदालत ने क्षेत्र में कोई अवैध खनन की गतिविधि न हो, इस पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए हैं।
मंड क्षेत्र की सीमा देवी और अन्य लोगों ने उच्च न्यायालय शिमला में जनहित याचिका दायर कर अवैध खनन से शाह नहर प्रोजेक्ट व जमीन को नुकसान होने की शिकायत की थी। याचिका में बताया गया कि संबंधित अभियंता गड़बड़ी पैदा कर रहा है, क्योंकि वह आवश्यक कार्रवाई नहीं कर रहा है। संबंधित क्षेत्र के खनन अधिकारी और उपमंडल अधिकारी ने उसे अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए कदम उठाने के लिए लिखा था।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने न्यायालय को याचिका के साथ संलग्न फोटोग्राफ भी दिखाए, जिनमें बड़े वाहनों के उपयोग को दर्शाया है, जिनका उपयोग याचिकाकर्ताओं के अनुसार अवैध खनन के उद्देश्य से किया जा रहा है। इन परिस्थितियों में उच्च न्यायालय की ओर से संबंधित क्षेत्र के मुख्य अभियंता को निर्देश दिया गया है कि वह एक सप्ताह में आवश्यक कार्रवाई अमल में लाएं। याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि शाह नहर की अन्य नहर के नीचे से अवैध मार्ग बनाकर भारी वाहनों में रेत और पत्थर ले जाए जा रहे हैं, जिससे सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को नुकसान हो रहा है और राज्य के खजाने को भी नुकसान हो रहा है।
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