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Himachal Disaster Updates: हिमाचल में मानसून का कहर से अभी भी 35 लोग लापता, 109 की मौत, राहत कार्य जारी

Himachal Disaster Updates

शिमला, 17 जुलाई 2025
Himachal Disaster Updates: हिमाचल में मानसून की बारिश और भूस्खलन ने भयंकर तबाही मचाई है। इस आपदा ने प्रदेश के लोगों को कई न भूलने वाले जख्म दिए हैं। सरकार और प्रशासन के अलावा कई समाजसेवी आपदा से प्रभावित हुए लोगों के लिए राहत और पुनर्वास के लिए प्रयास कर रहे हैं, जिससे आपदा में पीड़ित परिवारों को राहत के साथ हौंसला भी मिल रहा है।

उल्लेखनीय है कि इस मानसून सीजन में आपदा से अब तक 109 लोगों की मौत हो गई, 199 लोग घायल हुए हैं। अभी भी 35 लोग लापता हैं। 45 लोगों की सड़क हादसे में माैत हुई है। जबकि 226 सड़कें यातायात के लिए बंद है।

जानकारी मुताबिक राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) द्वारा 17 जुलाई, 2025 को जारी सुबह की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तरी के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 707 सहित 226 सड़कें मुख्य रूप से भूस्खलन और भारी वर्षा के कारण प्रभावित हुईं। इसके अतिरिक्त, मंडी, कुल्लू, कांगड़ा और सिरमौर जैसे जिलों में 52 वितरण ट्रांसफार्मर क्षेत्र और 137 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हुई हैं।

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मानसून सीजन में अब तक करीब 1332 कच्चे-पक्के मकानों, दुकानों को क्षति पहुंची है। 894 गोशालाएं भी क्षतिग्रस्त हुई हैं। 1228 पालतु पशुओं की माैत हुई है। 21,500 मुर्गी पक्षी मारे गए हैं।

एसईओसी द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि बारिश से संबंधित मौतें भूस्खलन, अचानक बाढ़, बादल फटने, बिजली का झटका लगने, सांप के काटने और खड़ी ढलानों से गिरने के कारण हुईं। आंकड़ों के मुतबिक 109 लोगों की मौत हो गई, 199 लोग घायल हुए हैं। अभी भी 35 लोग लापता हैं। 45 लोगों की सड़क हादसे में माैत हुई है।

बारिश से जुड़ी मौतों के मामले में सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िले मंडी और कांगड़ा हैं। यहां 32 लोगों की मौतें हुईं, उसके बाद हमीरपुर में आठ, कुल्लू में चार और चंबा में तीन लोगों की मौत हुई है। इसके साथ ही, राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में 45 मौतें हुईं, जिनमें सबसे ज़्यादा कुल्लू और सोलन (7-7), चंबा (6) और शिमला, कांगड़ा, किन्नौर और मंडी ज़िलों में कई अन्य मौतें हुईं।

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एसडीएमए ने सार्वजनिक उपयोगिताओं और निजी संपत्ति को भी व्यापक नुकसान की सूचना दी है, जिसका कुल मौद्रिक नुकसान 883 करोड़ रुपये से अधिक है। वहीँ सड़के बंद होने से और आपदा से प्रभावित होने के चलते अब तक सैकड़ों लोग आवाजाही के लिए वैकल्पिक और जोखिम भरे रास्तों का उपयोग कर रहे हैं।

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